स्वामी विवेकानंद की याद और आज का भारतीय युवा…

स्वामी विवेकानंद की याद और आज का भारतीय युवा…

भारत को युवाओं का देश कहा जाता है. भारत में स्वामी विवेकानंद की जयंती ’12 दिसंबर’ पर प्रत्येक वर्ष ‘राष्ट्रीय युवा दिवस’ आयोजित किया होता है. इस साल देश भर में अलग-अलग जगहों पर युवा दिवस के तहत आयोजन हो रहे हैं.

स्वामी विवेकानन्द को दुनिया उनके साहस, विवेक और संयम के लिए जानती है. उन्हें भारत की संस्कृति व सभ्यता के प्रचारक के तौर पर भी जाना जाता है. उन्होंने शिकागो में सन् 1893 में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया, और उनके संबोधन की चर्चा दुनिया भर में हुई.

भारत सरकार ने 1984 में 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में घोषित किया ताकि युवा उनके विचारों से प्रेरणा ले सकें, लेकिन आज भारत के युवा किसी और ही दिशा में जा रहे हैं. नशाखोरी के शिकार हो रहे हैं. एक आंकड़े के मुताबिक हमारे देश में केवल एक दिन में ग्यारह करोड़ सिगरेट फूंक दिए जाते हैं और इसके साथ ही फूंक दी जाती है न जाने कितनी जिंदगियां. 65% युवा आबादी वाले देश की स्थिति यह है कि किशोरावस्था से वयस्क होते-होते लगभग 70-80% युवा नशे के शिकार हो जाते हैं.

क्यों लगती है नशीली पदार्थों की लत?
कई बार जिज्ञासा, शौक़, ख्वाहिश या फैशन के नाम पर तो कई बार बेरोजगारी, करियर में नाकामी आदि से मिलने वाले चिंता और तनाव के कारण, युवा सिगरेट और शराब जैसी चीजों के तरफ आकर्षित हो जाते हैं. इसमें एक बड़ा हाथ साथियों और दोस्तों का दबाव भी होता है, माता-पिता का बच्चों को पर्याप्त समय न दे पाना और करियर काउंसलिंग में कमी होना भी अन्य कारण में शामिल है.

शिक्षा व बेरोजगारी भी है एक कारण
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक करीब 85% छात्र इस बात से चिंतित रहते हैं कि उच्च शिक्षा के लिये कौन सा विषय चुनना है. जिनमें से 92% को स्कूल से कोई दिशा-निर्देश नहीं मिल पाता. एक और विडंबना यह भी है कि बिना अपने अंदर की कौशल क्षमता को जाने अधिकांश छात्र पारंपरिक करियर (जैसे डॉक्टर, इंजीनियरिंग, शिक्षक, आदि) का ही चुनाव कर लेते हैं. “द ब्रोकन लैडर” के ऑथर अनिरुद्ध कृष्णा अपनी किताब में लिखती है कि मलेशिया, चीन, जापान और साउथ कोरिया की तुलना में भारत अपने शिक्षा व्यवस्था और कौशल क्षमता पर बहुत कम खर्च करता है.

क्या है मौजूदा स्थिति?
आज युवाओं में जिस तरह के नशे का चलन है उनमें सिर्फ सिगरेट, शराब और तम्बाकू ही नहीं बल्कि चरस, गांजा और अफीम भी है. ये नशीले पदार्थ उनके शरीर और मस्तिष्क में पहुंच उन्हें मौत की तरफ धकेल रहे हैं.

ऐसे में स्वामी विवेकानंद को याद करने और उन्हें श्रद्धांजलि देने का सबसे उम्दा तरीका यही होगा कि भारत के युवा नशे की गिरफ्त से निकलकर विचारों का आदान-प्रदान करें. वैचारिक यात्रा पर निकलें. खुद को खोजने की कोशिश करें जैसे स्वामी विवेकानंद ने की…