चौरी-चौरा शताब्दी समारोह में किसानों के लिए क्या बोले PM मोदी

चौरी-चौरा शताब्दी समारोह में किसानों के लिए क्या बोले PM मोदी

आजादी के आंदोलन के वक़्त घटी चौरी-चौरा की ऐतिहासिक घटना आज भी हमारी स्मृति में जिंदा है. उत्तर प्रदेश सरकार ने गुरूवार को चौरी-चौरा शताब्दी समारोह की शुरुआत की है. अगले एक साल तक इस शताब्दी समारोह को मनाया जाना है. इस दौरान यूपी के अलग-अलग जिलों में कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉफ्रेसिंग के जरिए इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मौके पर एक विशेष डाक टिकट भी जारी किया. पीएम मोदी ने कहा कि देश को कभी चौरी-चौरा की घटना नहीं भूलनी चाहिए. उन्होंने देश के लिए अपनी जान दी है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि चौरी चौरा में जो हुआ वो सिर्फ एक थाने में आग लगाने की घटना नहीं थी. यह घटना केवल एक पुलिस थाने तक सीमित नहीं रही. इससे एक बड़ा संदेश अंग्रेजी हुकूमत को दिया गया. साथ ही देश की जनता में भी क्रांति का प्रसार हुआ. पीएम मोदी ने इस मौके पर कहा कि इस साल देश की आजादी के 75 साल के वर्ष की भी शुरुआत होगी. इस घटना को इतिहास में सही जगह नहीं दी गई. लेकिन हमें उन शहीदों को सलाम करना चाहिए.

बजट पर भी बोले मोदी

पीएम मोदी ने बजट और किसानों के मुद्दे पर भी बात की.  बजट पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि पहले की सरकार बजट को वोट बैंक का बहीखाता समझती थी. लेकिन हमारी सरकार ने किसी पर भी कोई नया टैक्स नहीं लगाया है. यह बजट देश की रफ्तार को बढ़ाने वाला है. बजट से पहले दिग्गज बोल रहे थे कि टैक्स बढ़ाना ही होगा, लेकिन सरकार ने किसी पर भी बोझ नहीं डाला.

किसानों को लेकर पीएम मोदी ने कहा कि देश की तरक्की में किसानों ने अहम योगदान किया है. हमारी सरकार ने मंडियों को मजबूत करने के लिए ठोस कदम उठाए हैं. हमने ग्रामीण क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर फंड को बढ़ाया है. पीएम मोदी ने इस मौके पर देश की सामूहिक शक्ति पर जोर देते हुए आत्मनिर्भर भारत की बात कही. उन्होंने कहा आत्मनिर्भर भारत आज अपने बल पर चल रहा है. कोरोना काल में भारत दुनिया को वैक्सीन दे रहा है और आगे बढ़कर मदद कर रहा है.

क्या है चौरी-चौरा की घटना?

जब साल 1920 में असहयोग आंदोलन चरम पर था. अंग्रेज सरकार के पसीने छूटने लगे थे. इस दौरान गोरखपुर के चौरी-चौरा गांव में वहां के थाना भवन को आग लगा दी गई थी, जिसमें 24 पुलिस वालों की जलने से मौत हो गई. इस घटना से दुखी होकर बाद महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन को वापस ले लिया था. ये गोरखपुर के चौरी-चौरा गांव में घटित ऐसी घटना थी, जिसने एक मामूली गांव को चर्चित कर दिया.