बड़ौरा और रामगढ़ की घटना को बिहार में ‘भीम आर्मी’ की इंट्री के तौर पर भी देखा जाए

बड़ौरा और रामगढ़ की घटना को बिहार में ‘भीम आर्मी’ की इंट्री के तौर पर भी देखा जाए

बिहार प्रदेश के कैमूर जिले का रामगढ़ थाना और बड़ौरा गांव इन दिनों सुर्खियों में है. रामगढ़ थाने की रंगत बद से बदतर हो गई है. कभी अपनी राजनीतिक गतिविधियों के लिए मशहूर रामगढ़ इन दिनों अन्यान्य कारणों से चर्चा के केन्द्र में है. बड़ौरा के पंजाब नेशनल बैंक के ग्राहक सेवा केन्द्र से (4,000) रुपये के लिए शुरू हुई बात का बखेड़ा इस कदर बढ़ता चला गया कि शशिकला नामक लगभग 18 वर्षीय लड़की अपने जान से हाथ धो चुकी है.

रामगढ़ थाना घंटों जलता रहा. थाने का हाजत तोड़ दिया गया. हाजत तोड़कर कई लोगों को छुड़ा लिया गया. डीएसपी को उपद्रवी तत्वों ने इतना मारा कि वह जिंदगी और मौत के बीच झूलते रहे, लेकिन इन तमाम बातों के बीच जिस एक तथ्य पर सबसे अधिक बात होनी चाहिए थी, वह तमाम चर्चाओं के बीच सिरे से गायब है. सिवाय मधेपुरा सांसद पप्पू यादव के सियासतदां भी इस मसले पर कुछ भी कहने से कतरा रहे हैं. चर्चाओं और अफवाहों का बाजार गर्म है. उत्तर प्रदेश के रास्ते ‘भीम आर्मी’ की धमक बिहार के कैमूर जिले तक आ पहुंची है.

बड़ौरा के भीतर 4000 रुपये को लेकर शुरू हुआ विवाद इस कदर विकराल होता चला गया कि पूरे एक दिन (18 जनवरी) को रामगढ़ बाजार थम सा गया. थाने का मंजर कुछ ऐसा कि आज थाना पहचान में नहीं आ रहा. थाने की सैकड़ों गाड़ियां फूंकी जा चुकी हैं. डीएसपी समेत पुलिस के जवानों को इस कदर पीटा गया कि पूरा रामगढ़ इलाका सहमा हुआ है. कोई कुछ भी कहने से कतरा रहा है लेकिन इन तमाम चुप्पियों के बीच एक नाम सबकी जुबां पर है. भीम आर्मी. कुछ लोग इसे भीम सेना भी कह रहे हैं. पढ़िए द बिहार मेल की तथ्यपरक व विस्तृत रिपोर्ट…

क्या है पूरा मामला?
उत्तर प्रदेश और बिहार के बॉर्डर पर बसा है बड़ौरा. कर्मनाशा नदी को छूते हुए इसी गांव में स्थित है पंजाब नेशनल बैंक का ग्राहक सेवा केन्द्र (सीएसपी). ग्रामीणों की सुविधा के मद्देनजर स्थापित किया गया एक सीएसपी. पूरी घटना के केन्द्र में भी यही सीएसपी है. सीएसपी के संचालक मनोज सिंह (राजपूत) और उसी गांव की रहने वाली बारहवीं की छात्रा शशिकला (चमार) के बीच 4,000 रुपये निकालने और देने को लेकर विवाद शुरू हुआ और मामला थाने तक पहुंचा.

बड़ौरा का सीएसपी ब्रांच जहां से 4000 रुपये के लेनदेन को लेकर विवाद शुरू हुआ

पैसे निकालने और देने को लेकर शुरू हुए विवाद पर शशिकला की मां कहती हैं कि, “लड़की के पिता ने उसके अकाउंट में 4000 रुपये डाले थे. कैशियर ने ऐसी बात को स्वीकारा भी था. कैशियर ने बार-बार लिंक खराब होने की बात कही. जब मेरी लड़की ने अपनी परीक्षा और व्यस्तता का हवाला दिया तो मनोज सिंह ने उसे कहा कि चमार की लड़की तू इतना बोलेगी. तुम्हारी मां क्या डीएम है? जब वह खुद मनोज सिंह के पास वापस इसकी शिकायत लेकर पहुंची तो उन्होंने शशिकला और मुझे धमकाया.”

वहां से लौटने के बाद उन्होंने आपस में सलाह-मशविरा करके एफआईआर करा दी. जब मनोज सिंह तक एफआईआर की खबर पहुंची तो वे मीडिया में बदनामी की दुहाई देते हुए उनसे एफआईआर लौटा लेने की बात कहने लगे. उन्होंने कहा कि वे पहले ही पैसे दे रहे हैं और मामले को रफा-दफा कर लिया जाए. ऐसे में शशिकला की मां शशिकला को उनके साथ भेज दें और दरख्वास्त उठवा ली जाए. जब शशिकला की मां ने भी साथ चलने की बात कही तो वे कहने लगे कि शशिकला उनकी बेटी की तरह है. उनसे बस यही गलती हो गई. वे लड़की को लेकर गए और थाने से दरख्वास्त लौटवाने के बाद उसे न जाने कहां ले गए. उसे मारा-पीटा और ट्रेन के सामने धकेल दिया.

रामगढ़ थाने की वर्तमान स्थिति, जहां 18 तारीख को दिनभर तांडव होता रहा

जब हमारी टीम मनोज सिंह के घर पर पहुंची तो उनके घर पर कहा गया कि वे अपनी पत्नी के इलाज हेतु बनारस गए हैं. उनके एक्स आर्मीमैन चाचा इस पूरे मामले को लेकर कहते हैं कि यह पूरा मामला आत्महत्या का है और इसे हत्या बनाने की कोशिश है. इसके पीछे राजनीतिक लोग लगे हैं. जब हमने उनसे उन राजनीतिक लोगों का नाम पूछा तो उन्होंने लोकल नेता जिला पार्षद छोटेलाल राम, रामबच्चन राम, सुरेन्द्र राम और दूर पटना में बैठे बैरिस्टर राम का जिक्र किया.

भुआल सिंह, मनोज सिंह के चाचा

हत्या या आत्महत्या?
गौरतलब है कि इस पूरे विवाद के केन्द्र में लड़की की हत्या और आत्महत्या से जुड़ी खबरें और अफवाह ही हैं. परिवारजनों का कहना है कि उसकी हत्या की गई है. उसके साथ बलात्कार किया गया है. जब हमारी टीम इस मामले की तह में जाने के क्रम में भभुआ रोड स्टेशन पहुंची तो वहां पता स्टेशन अधीक्षक आरपी सिंह ने बताया कि यह पूरा मामला 16 जनवरी के शाम का है. पूर्वा एक्सप्रेस 2 नंबर प्लेटफॉर्म पर आकर रुकी. ट्रेन अभी चली ही थी कि शशिकला प्लेटफॉर्म पर आकर लेट गई. ड्राइवर ने इमरजेन्सी ब्रेक लगाया. लड़की को बड़ी मशक्कत के बाद वहां से निकाला जा सका.

भभुआ रोड रेलवे स्टेशन के स्टेशन अधीक्षक आर.पी सिंह

16 तारीख के रोज मौके पर मौजूद आरपीएफ के उपनिरीक्षक रामबिलास राम से आज हमने इस मसले पर विस्तृत बातचीत की. उनका कहना है कि उक्त रोज शशिकला ट्रेन चलते ही प्लेटफॉर्म पर लेट गई. ड्राइवर ने इमरजेन्सी ब्रेक का इस्तेमाल किया. लड़की के फंसे शरीर को किसी तरह निकाला गया. जीआरपी और आरपीएफ ने इसे लेकर मेमो भी दिया है. चारों और पूर्वा एक्सप्रेस के ड्राइवर और एसआई की बातचीत भी वायरल है. जब हमने उनसे लड़की को घायल करने के लिए इस्तेमाल किए गए किसी धारदार हथियार का जिक्र किया तो उन्होंने सारी बात को सिरे से खारिज कर दिया.

हमने शशिकला के परिजनों द्वारा उसके शरीर पर लगे चोटों का जिक्र जब उसका फर्स्टएड उपचार करने वाले डॉक्टर अविनाश के कंपाउंडर और मेडिकल स्टोर चला रहे सचिन से किया तो उन्होंने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं थी. उन्होंने लड़की की अवस्था को देखते हुए मामला आगे बढ़ा दिया. वहां से मामला रेफरल अस्पताल होते हुए बीएचयू ट्रॉमा सेंटर पहुंचा.

स्टेशन के नजदीक डॉक्टर अविनाश का क्लिनिक जहां सबसे पहले शशिकला लाई गई

क्या कह रहे हैं जिले और रामगढ़ के जनप्रतिनिधि?
रामगढ़ विधायक अशोक सिंह से जब इस पूरे मामले के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि 17 तारीख के रोज वे क्षेत्र में ही थे. किसानों को खाद बंटवाने का काम कर रहे थे. वे 17 तारीख की रात पटना के लिए रवाना हुए. 18 तारीख को उन्हें विधानसभा की किसी कार्यवाही में शामिल होना था. उन्हें इस मामले में किसी भी पक्ष ने अप्रोच नहीं किया. हालांकि जब उन्हें रामगढ़ में होती अप्रिय घटनाओं के बारे में पता चला तो वे लगातार डीएम और एसपी के संपर्क में रहे. उनके पटना से लौटते तक ऐसी गतिविधियों को अंजाम दिया जा चुका था.

रामगढ़ विधानसभा से भाजपा विधायक अशोक सिंह

भीम आर्मी के सवाल पर वे कहते हैं कि उन्हें ऐसा नहीं लगता. इसके पीछे किन्हीं बाहरी उपद्रवी तत्वों का हाथ है. उन्हें पकड़ने की कोशिशें अनवरत जारी हैं. ऐसे तत्वों को पाताल से भी खोजकर भी निकाल लिया जाएगा. मामले पर सीएम और डिप्टी सीएम लगातार नजर बनाए हुए हैं. वे खुद भी अपील कर रहे हैं कि लोग शांति बनाए रखें.

तबाही के मंजर को बयां करतीं रामगढ़ थाने की तस्वीरें

इस पूरे मामले पर हमने बसपा से जुड़े और जिला पार्षद पप्पू सिंह से भी बातचीत की. बाजार में ऐसी खबरें थीं कि 18 तारीख को उग्र भीड़ ने उनकी गाड़ी को भी क्षति पहुंचाई थी. इस सवाल के जवाब पर वे बोले कि उनकी गाड़ी उसी रास्ते से गुजर रही थी और कुछ पत्थर उनकी गाड़ी पर भी लगे. जब हमने उनसे भीम आर्मी का जिक्र किया तो वे कहने लगे कि, देखिए बसपा एक पारंपरिक पार्टी है. उनकी पार्टी हिंसक राजनीति में विश्वास नहीं रखती. वे भीम आर्मी की हिंसक राजनीति से इत्तेफाक नहीं रखते.

जीतन राम मांझी और पप्पू यादव ने शासन-प्रशासन से किए तीखे सवाल
इस मामले में विपक्ष के राजनेता भी खासे सक्रिय हो गए हैं. 20 तारीख को बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी मृतका के घर पर पहुंचे. उन्होंने प्रेस को ब्रीफ करते हुए कहा कि उन्हें पूरा शक है कि शशिकला का अपहरण कर उसके साथ दुर्व्यवहार किया गया है. न जाने किन वजहों से अब तक एफआईआर नहीं किया गया है. उन्होंने अपनी मांग रखी कि रविदास समुदाय के बच्चों को परेशान न किया जाए और मामले में दोषियों को सजा दी जाए.

शशिकला के परिवारजनों से पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने की मुलाकात

विपक्ष के नेताओं के मृतका के घर पहुंचने के क्रम में आज मधेपुरा सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव भी बड़ौरा गांव पहुंचे. उन्होंने कहा कि वे इस मामले में पीआईएल दाखिल कर न्याय के लिए प्रयासरत रहेंगे. हालांकि उन्हें उम्मीद नहीं कि सरकार इस मामले में न्याय करेगी. वे कहते हैं कि बलात्कार को भी जातीय संदर्भ में देखा जा रहा है. ऐसा उचित नहीं. वे चाहते हैं कि परत दर परत मामला खुले. वे शशिकला को न्याय दिलाने के प्रति संजीदा हैं. वे इस मामले को सड़क से सदन तक ले जाएंगे. उन्होंने मृतका के परिजनों को 20 लाख रुपये और किसी परिवारजन को सरकारी नौकरी देने की बात भी कही.

जब पप्पू यादव से द बिहार मेल ने 16 तारीख के रोज पूर्वा एक्सप्रेस के ड्राइवर, भभुआ रोड स्टेशन के स्टेशन अधीक्षक और आरपीएफ के बयान का हवाला दिया कि कैसे शशिकला उक्त रोज ट्रेन की पटरी के बीचोबीच लेट गई थी. तो उन्होने प्रतिउत्तर में कहा कि यदि ऐसा है तो इस मामले में पूर्वा एक्सप्रेस के ड्राइवर, एसपी, डीएसपी और मनोज सिंह का नार्को टेस्ट हो. मामले की सीबीआई इन्क्वायरी हो. वे कह गए कि रोम जल रहा था और नीरो बंसी बजा रहा था.

मधेपुरा सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव

रामगढ़ थाने फूंके जाने में भीम आर्मी का नाम आने के सवाल पर उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार तो नहीं है कि कोई थाना फूंका गया है. हालांकि वे किसी भी तरह की हिंसा के पक्ष में नहीं, लेकिन यदि सारी कार्रवाई जातीय आधार पर होंगी तो कहीं न कहीं जनआक्रोश तो पैदा होगा न? जनआक्रोश पैदा होता है तो किसी को भीम आर्मी, किसी को सनलाइट, किसी को हाइलाइट, किसी को दलित सनलाइट कहेंगे, क्या दलितों को या वंचितों को या बेटी के परिजन को या बेटी के समाज को लड़ने का अधिकार नहीं है क्या? क्या आप उसके अधिकारों को डायवर्ट करेंगे. उन्होंने थानेदार और डीएसपी की कार्रवाई की बातें प्रेस ब्रीफ में कहीं. उनका कहना था कि आजकल भीड़तंत्र ही लोकतंत्र हो गया है. एसपी और डीएसपी से इस मामले में गलती हुई है.

भीम आर्मी बहुजन राजनीति में मिलिटेंसी का उभार!
रामगढ़ में हुई तमाम घटनाओं पर जब हमने बक्सर के पूर्व सांसद जगदानंद सिह के पुत्र व रामगढ़ विधानसभा के पूर्व विधानसभा प्रत्याशी सुधाकर सिंह से बात की तो उन्होंने कहा कि रामगढ़ की घटना इस बात का परिचायक है कि बिहार में कानून व्यवस्था जैसी कोई चीज नहीं बची है. आम नागरिकों को ऐसा लग रहा है कि वर्तमान सरकार में उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही. उसी कड़ी में ही रामगढ़ की घटना हुई है.

प्रशासन को तमाम गतिविधियों की पहले से ही जानकारी थी लेकिन उचित कार्रवाई नहीं हुई. ऐसी निकम्मी सरकार को बर्खास्त करके राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा देना चाहिए. रामगढ़ ऐसी पहली घटना नहीं है. राज्य भर से ऐसी दर्जनों घटनाएं सुनने में आ रही हैं. वे आगे कहते हैं कि रामगढ़ थाने में इतनी बड़ी घटना होने के बावजूद सरकार का कोई प्रतिनिधि या वरिष्ठ मंत्री अबतक इस मामले की जांच करने के लिए नहीं आया है.

रामगढ़ थाने के भीतर जलाई गई गाड़ियां

प्रशासनिक नाकामी के सवाल पर सुधाकर कहते हैं कि देखिए इस पूरे मामले को मोदी सरकार की नाकामी के तौर पर भी देखा जाए. प्रधानमंत्री एक जिम्मेदार पद है. जबकि वे अब तक किसी पार्टी विशेष के सदस्य के तौर पर ही बिहेव कर रहे हैं. सरकार रोजगार के फ्रंट पर पूरी तरह फेल रही है.

भीम आर्मी की सक्रियता को वे बहुजन राजनीति के भीतर मिलिटेंसी का उभार कहते हैं. वे कहते हैं कि देखिए बहुजन समाज पार्टी की पारंपरिक राजनीति इन दिनों जरा ढीली हुई है. भीम आर्मी उसकी ही एक शाखा है. इस राजनीति का एंटी बसपा और एंटी मायावती रुख में कोई अस्तित्व नहीं.

क्या कहते हैं प्रत्यक्षदर्शी और बड़ौरा निवासी?
रामगढ़ थाने के ठीक सामने ड्रीम अचीवर्स क्लासेस चलाने वाले उसके संचालक सुनील सिंह कहते हैं कि इस पूरी घटना के पीछे भीम आर्मी है. उनकी कोचिंग के ही शिक्षक विवेक सिंह कहते हैं कि इस पूरे मामले को लेकर उनके बीच मैसेज सर्कुलेट किया गया. नजदीक के जिलों से भीम आर्मी के लोगों को बुलावा भेजा गया. यहां तक कि गाजीपुर से भी लोग आए.

सुनील सिंह आगे कहते हैं कि बाजार में भी भीम आर्मी के सदस्य दूसरों के लिए जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल कर रहे थे. उन्होंने डीएसपी को भी सिर्फ इसलिए मारा क्योंकि उनके नेपप्लेट पर सिंह लिखा था. ऐसे वीडियो भी वायरल हुए हैं जहां डीएसपी के टाइटल का जिक्र किया जा रहा है. थाने को दो बार फूंका गया. इस बीच लड़की के लाश को दुर्गा चौक पर रखकर प्रदर्शन भी जारी रहा. उनकी कोचिंग को भी टार्गेट किया गया. हमारे लिए भी अपशब्दों का इस्तेमाल किया गया. नीचे बुलाया गया लेकिन हम कहीं नहीं गए. यहां तक प्रदर्शनकारियों ने थाने से कुछ दूरी पर स्थित पेट्रोल पंप फूंकने की कोशिश की. स्थानीय लोगों के विरोध किए जाने के बाद ही वे वहां से पीछे हटे.

बड़ौरा गांव के रहने वाले धनंजय से जब हमने बातचीत करते हुए इस मामले के तह में जाने की कोशिश की. तो उन्होंने वैसी ही बातें कहीं जो हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि कैसे बैंक के कैशियर और लड़की के बीच पैसे के लिए विवाद हुआ. लड़की ने इसे लेकर एफआईआर कर दिया. घरवालों के समझाने-बुझाने पर लड़की ने मामला उठा लिया. इस मामले पर उनकी ही बस्ती के ही कुछ उपद्रवी तत्व सक्रिय हो गए. भीम आर्मी के सवाल पर धनंजय कहते हैं कि साल भर से कुछ लड़के हैं जो भीम आर्मी के रीडर के तौर पर सक्रिय हो गए हैं. वे ही सभी लोगों को भड़काने का काम करते हैं. उनका गांव हमेशा से शात रहा है. उनकी समझ से सच्चाई को तोड़ा-मरोड़ा जा रहा है.

बड़ौरा गांव निवासी धनंजय

अंत में यही कहना है कि रामगढ़ ने वो सबकुछ देख लिया जो उसने अपने इतिहास में अबतक नहीं देखा था. विकास की राजनीति के लिए चर्चा के केन्द्र में रहने वाला रामगढ़ इन दिनों अन्यान्य वजहों से चर्चा में है. फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है. बड़ौरा और रामगढ़ सियासी केन्द्र बना हुआ है. शशिकला मामले में अब तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं आई है. भीम आर्मी जिले के भीतर और बाहर चर्चा के केन्द्र में है…

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