दिन में कितनी बार बिस्तर पर लेटती हूं और फिर उठ जाती हूं. फिर टीवी खोलती हूं, कुछ नहीं समझ…
इतनी रेलें चलती हैं भारत में कभी कहीं से भी आ सकती हो मेरे पास कश्मीर के भीतर कई ट्रेनें…
दिन में कितनी बार बिस्तर पर लेटती हूं और फिर उठ जाती हूं. फिर टीवी खोलती हूं, कुछ नहीं समझ…
इतनी रेलें चलती हैं भारत में कभी कहीं से भी आ सकती हो मेरे पास कश्मीर के भीतर कई ट्रेनें…