कश्मीर में पांच अगस्त: ऐसा लगा कि हम अब दोबारा कभी नहीं मिल पाएंगेUncategorized

कश्मीर में पांच अगस्त: ऐसा लगा कि हम अब दोबारा कभी नहीं मिल पाएंगे

दिन में कितनी बार बिस्तर पर लेटती हूं और फिर उठ जाती हूं. फिर टीवी खोलती हूं, कुछ नहीं समझ…

जिस कश्मीरियत की बात की जाती है, वह शायद यही है!देश

जिस कश्मीरियत की बात की जाती है, वह शायद यही है!

इतनी रेलें चलती हैं  भारत में कभी कहीं से भी आ सकती हो मेरे पास कश्मीर के भीतर कई ट्रेनें…