लॉकडाउन डायरी, डे -1: मैं एक अबोध धरती की कल्पना नहीं कर पाती…खबरें

लॉकडाउन डायरी, डे -1: मैं एक अबोध धरती की कल्पना नहीं कर पाती…

लॉकाडाउन एक बार फिर अगले 21 दिनों के लिए बढ़ा दिया गया है. कहा जाता है कि एक आदत बनने…

लॉकडाउन डायरी, डे -2: क्वैरंटीन, लेखन और एकांत…खबरें

लॉकडाउन डायरी, डे -2: क्वैरंटीन, लेखन और एकांत…

सिद्धार्थ ने वाक़ई क्वैरंटीन के 21 दिनों में किताब लिख दी है. किताब का कवर मुझे बेहद पसंद आया, उसके…

लॉकडाउन जर्नल, डे -3: यह वर्ल्ड ऑर्डर की नई संभावनाएं नहीं, अपने भीतर की संवेदना तलाशने का समय है…खबरें

लॉकडाउन जर्नल, डे -3: यह वर्ल्ड ऑर्डर की नई संभावनाएं नहीं, अपने भीतर की संवेदना तलाशने का समय है…

उत्तर प्रदेश में पदयात्रा के समय ली गई तस्वीर आज एक अरसे बाद मैंने बाहर की दुनिया की तरफ देखा.…

लॉकडाउन जर्नल, डे -5: वर्जीनिया वूल्फ को अपना पब्लिकेशन हाउस क्यों खोलना पड़ा होगा?खबरें

लॉकडाउन जर्नल, डे -5: वर्जीनिया वूल्फ को अपना पब्लिकेशन हाउस क्यों खोलना पड़ा होगा?

आज का दिन कल जैसा नहीं था. आज धूप में गर्मी थी. काम खत्म करने के बाद मैं घर के…

लॉकडाउन डायरी, डे-6: सच कहूँ तो हमारी कोई ज़रूरत ही नहीं है…खबरें

लॉकडाउन डायरी, डे-6: सच कहूँ तो हमारी कोई ज़रूरत ही नहीं है…

देर रात हुई है. दिन गुज़रने का पता अब चलता नहीं. कमरे में बत्ती नहीं जलाई है. बस कंप्यूटर स्क्रीन…

लॉकडाउन डायरी, डे -7: कुछ शब्द कहानियों के लिए होते हैं, टीवी एंकर उन्हें डिज़र्व नहीं करतेखबरें

लॉकडाउन डायरी, डे -7: कुछ शब्द कहानियों के लिए होते हैं, टीवी एंकर उन्हें डिज़र्व नहीं करते

दर्द एक दरिया है. इस दरिया में एक बहुत गहरी जगह आती है. इतनी गहरी कि उसे पार करने के…

लॉकडाउन डायरी, डे -8: “अगर मैं सचमुच तुम्हारे सपने का हिस्सा हूँ, तो तुम एक दिन लौट आओगे.”खबरें

लॉकडाउन डायरी, डे -8: “अगर मैं सचमुच तुम्हारे सपने का हिस्सा हूँ, तो तुम एक दिन लौट आओगे.”

कल शाम का जर्नल लिखने के बाद से ही जिस शब्द ने मेरे मन पर आधिपत्य जमाया हुआ है, वह…

लॉकडाउन डायरी, डे -9: “जो हम आज हैं, वही बनना हमारी सबसे गहरी इच्छा थी”खबरें

लॉकडाउन डायरी, डे -9: “जो हम आज हैं, वही बनना हमारी सबसे गहरी इच्छा थी”

आज के बाद लॉकडाउन के बाद आठ दिन और बचते हैं. आज का दिन मिलाकर नौ दिन हुए. नौ मेरा…

लॉकडाउन डायरी, डे -10: सब अपनी विसंगतियाँ खुद देख सकें, तभी प्रकाश के मायने हैं…खबरें

लॉकडाउन डायरी, डे -10: सब अपनी विसंगतियाँ खुद देख सकें, तभी प्रकाश के मायने हैं…

नौ बजे हैं, पूरा देश प्रकाशपर्व मना रहा है. प्रकाश यानी ज्योति. ऊष्मा. जीवन. चेतना. मैं फ्रॉइड का सातवाँ एपिसोड…

लॉकडाउन डायरी, डे -11: रास्ता चाहे कितना भी मुश्किल लगे, घर हम सबका होता है…खबरें

लॉकडाउन डायरी, डे -11: रास्ता चाहे कितना भी मुश्किल लगे, घर हम सबका होता है…

देर रात हो चुकी है. दस बजकर छियालीस मिनट. खाना खा लिया है. गौरव ने बनाया था. आलू-बैंगन-टमाटर की हलकी…