उत्तरप्रदेश के उन्नाव जिले के बीजेपी विधायक से जुड़े बहुचर्चित बलात्कार मामले में पीड़ित पक्ष के लिहाज से एक अत्यंत बुरी खबर आ रही है. इस मामले में बलात्कार पीड़िता व उसके परिजनों की कार को रॉन्ग साइड से आ रही ट्रक ने रौंद डाला. पीड़िता की मां और चाची जहां अपनी जान गवां चुकी हैं, वहीं पीड़िता स्वयं बुरी तरह घायल हैं. इस पूरे मामले में उत्तरप्रदेश सरकार का कहना है कि यदि पीड़िता के परिजन चाहते हैं तो हादसे की सीबीआई जांच कराई जा सकती है.
आरोपी विधायक के परिजन फरार
यहां हम आपको बताते चलें कि उन्नाव जिले के बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर इस मामले में मुख्य आरोपी हैं. ऐसे में इस खबर के फैलते ही आरोपी विधायक के परिवारवाले उन्नाव के माखी गांव से फरार हो गए हैं. माखी गांव में कुलदीप सिंह सेंगर के घर में उनकी बहन पप्पी सिंह और नौकर रहते थे. एक्सीडेंट के बाद पुलिस के डर से सारे लोग घर छोड़कर फरार हो गए हैं.
विपक्ष हुआ हमलावर
इन दिनों उत्तरप्रदेश के अलग-अलग मामलों में कांग्रेस नेत्री प्रियंका गांधी भी सक्रिय हो गई हैं. पहले सोनभद्र हत्याकांड और अब उन्नाव का मामला. उन्होंने इस मामले को लेकर ट्विटर के प्लेटफॉर्म से योगी सरकार को घेरने का प्रयास किया है. बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी इस मामले को लेकर योगी सरकार को घेरा है.
#Unnao बलात्कार पीड़िता के साथ सड़कदुर्घटना का हादसा चौंकाने वाला है।
इस केस में चल रही CBI जाँच कहाँ तक पहुँची? आरोपी विधायक अभी तक भाजपा में क्यों हैं? पीड़िता और गवाहों की सुरक्षा में ढिलाई क्यों?
इन सवालों के जवाब बिना क्या भाजपा सरकार से न्याय की कोई उम्मीद की जा सकती है?
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) July 29, 2019
उन्नाव रेप पीड़िता के कार की रायबरेली में कल ट्रक से टक्क्र प्रथम दृष्टया उसे जान से मारने का षडयंत्र लगता है जिसमें उसकी चाची व मौसी की मौत हो गई तथा वह स्वंय व उसके वकील गंभीर रूप से घायल हैं। मा. सुप्रीम कोर्ट को इसका संझान लेकर दोषियों पर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करनी चाहिए।
— Mayawati (@Mayawati) July 29, 2019
क्या कह रही है पुलिस?
गौरतलब है कि पीड़िता की सुरक्षा के लिए प्रशासन की ओर से 10 पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई थी. 7 पुलिसकर्मी हाउस गार्ड का काम करते थे और 3 रेप पीड़िता के साथ रहते थे. ऐसे में इस हादसे के बाद सवाल उठने लगे हैं कि आखिर उन 10 पुलिसकर्मियों के एक ही साथ गायब होने की वजह क्या हो सकती है?
इस पूरे मामले में प्रदेश के डीजीपी ओपी सिंह का कहना है कि पहली नजर में यह एक्सीडेंट का मामला लग रहा है. पूरे मामले की बारीकी से जांच करने के लिए एक टीम गठित की गई है. हादसे के दौरान पुलिसकर्मियों की नामौजूदगी पर उन्होंने कहा कि पीड़िता ने पुलिसकर्मियों से कहा था कि जब जरुरत होगी तो आपको बुला लेंगे. यही वजह है कि हादसे के दौरान उनकी सुरक्षा में कोई नहीं था.
हादसा या साजिश?
वैसे तो यह मामला इसकी शुरुआत से ही सुर्खियों में है. पहले पीड़िता के पिता की पुलिस कस्टडी में मौत और अब यह दुर्दांत हादसा हो. पीड़िता की मां और चाची अपनी जान गवां चुकी हैं. पीड़िता व उसके वकील बुरी तरह घायल हैं. ऐसे में इस पूरे मामले में किसी बड़ी साजिश को दरकिनार नहीं किया जा सकता. आखिर रॉन्ग साइड से आ रही ट्रक उसी एक कार को क्यों टक्कर मारती है? क्यों उस ट्रक के नम्बर प्लेट पर कालिख पुती है? कैसे पीड़िता की सुरक्षा में लगे सारे सुरक्षाकर्मी एक ही साथ नदारद हो गए? कुल मिलाकर इस हादसे ने योगी सरकार के निष्पक्ष लॉ एंड ऑर्डर की पोल पट्टी खोलकर रख दी है. योगी सरकार की फजीहत जारी है. सरकार ने इसी दबाव के तहत पहले ही सीबीआई जांच की बात कह दी है, वो भी यदि पीड़िता के परिजन चाहे तों…