ग्राउंड रिपोर्ट: रात 1 बजे गोदौलिया की दुकानों पर चले बुलडोजर, बच्चों को भी बख्शा नहीं गया…

ग्राउंड रिपोर्ट: रात 1 बजे गोदौलिया की दुकानों पर चले बुलडोजर, बच्चों को भी बख्शा नहीं गया…

बनारस के कथित विकास के आड़ में मोदी 2.0 ने व्यवहारिक और कानूनी दोनों प्रक्रियाओं को ताक पर रख कर काम करना शुरू कर दिया है. बीते मंगलवार को गोदौलिया चौराहे के ठीक बगल में अवस्थित 72 वर्ष पुराना संजय गांधी बाजार तोड़ने की भरसक कोशिश की गई. दुकानदारों को दुकान खाली करने का मौखिक फरमान दिया जा चुका है. लगभग बीस दुकानों का यह बाजार अब जल्द ही तोड़ दिया जाएगा. इस तोड़फोड़ से सीधे तौर पर 3000 लोग प्रभावित होने वाले हैं.

दुकानदार और उनके परिवारवालों की कोई सुननेवाला तक नहीं. दुकानदारों का कहना है कि वे तो सड़क पर आ जाएंगे. उनके पास अपने परिवार को पालने का और कोई जरिया नहीं. इस बाजार में सबसे पहली दुकान विष्णु लखानी की है. उनकी दुकान का नाम है ‘कुंदन फैमिली क्लॉथ स्टोर’. वे लगभग 60 वर्ष की उम्र के हैं. पसीने से लथपथ दुकान का सामान हटा रहे थे. मेरे ऐसा कहने पर कि आपसे दो मिनट बात करनी है, बिफर पड़े. बोलने लगे, वे बोलने की स्थिति में नहीं हैं, मैं वहां से चला जाऊं. मैं थोड़ी देर वहीं रुका रहा तो कहने लगे, “72 साल पुरानी दुकान है और 72 घंटे में खाली कर देने का फरमान आया है. मेरे लिए मर गये मोदी. रात के दो बजे खाली कराने आ गये कोई नियम कानून नही. कहां जाऊं क्या करूं कुछ पता नहीं”.

मंगलवार रात बुलडोजर चलने के बाद सामान हटाते दुकानदार

उनके ठीक बगल में में शिवा तुलस्यानी की दुकान है. दुकान का नाम है महेश मैचिंग कॉर्नर’ उन्होंने दुकान के अंदर बिठाया, सहजता से बात की. बताने लगे कि मंगलवार की शाम से ही पुलिस घूम रही थी. हमें अंदेशा हुआ तो हम सब दुकान बन्द करने के बाद भी यहीं रुके रहे. घर से महिलाएं भी आ गईं और फिर रात के 1 बजे जो हुआ उसके वीडियो सबके सामने हैं. वे आगे कहते हैं, “अगर हम सब उस रात पुलिस के आवाजाही को भांप कर ना रुके होते तो शायद सामान सहित हमारी दुकानें तोड़ दी जातीं. दो हजार की संख्या में पुलिस, नगर आयुक्त सहित तमाम आला अधिकारियों की उपस्थिति में रात के एक बजे महिलाओं को घसीटा गया, मारा गया, बच्चों तक को नही बख्शा गया”.

शिवा तुलस्यानी के बात कहने के अंदाज में रोष कम और असहायता अधिक दिखी. वह अब भी उम्मीद लगाए हैं कि प्रशासन की तरफ से एक व्यवस्थित बैठक होगी और उनकी दुकान नहीं उजाड़ी जाएगी. उनकी दुकान के ठीक सामने तीन दुकानें हैं. तीनों दुकानें चंदन लखानी की हैं. चंदन हमसे बातचीत में कहते हैं, “पहले इन दुकानों पर उनके पिता बैठा करते थे. अब सारा काम वे ही संभालते हैं.

रिपोर्टर शाश्वत के बगल में शिवा तुलस्यानी और सामने चंदन

अट्ठाइस वर्षीय चंदन आगे कहते हैं, “इस दुकानदारी को जमाने के लिए उन्होंने लगभग एक करोड़ का कर्ज़ लिया है. वे अब कुछ भी सोचने की स्थिति में नहीं. उन्होंने अपने फोन में वह जगह दिखाई जो उन्हें (बदले में दी जानी) है.” उनका कहना है कि उक्त जगह को देने का दावा भी मौखिक है और विश्वास करने लायक नहीं. इसके अलावा बदले में दी जाने वाली जगह दुकानदारी के लायक नहीं.

यहां हम आपको बता दें यहां मौजूद अधिकांश दुकानों में रेडिमेड कपड़े. महिलाओं के लिए साड़ियां व मैचिंग के दुपट्टे इत्यादि बिकते हैं. गोदौलिया चौराहे से ठीक सटा यह बाजार बिक्री के लिहाज से मुफीद स्थान माना जाता रहा है एवं 70 वर्ष पुराना है. अभी कुछ दिनों पहले ही प्रशासन ने गोदौलिया चौराहे वाले तांगा स्टैंड को तोड़ दिया. ऐसा कहा जा रहा है कि वहां मल्टी स्टोरेज पार्किंग बनेगी. अब प्रशासन उसके ठीक पीछे लगने वाले इस बाजार को तोड़ने पर आमादा है. जबकि ना यहां के दुकानदारों को इसकी पहले से कोई सूचना दी गई और न ही कोई लिखित नोटिस. स्थानीय जनता भी कोई हस्तक्षेप नहीं कर पा रही. आसपास के दुकानदार शांत हैं. उन्हें खबर तो है मगर वे किसी पचड़े में पड़ना नहीं चाहते. ऐसा लगता है जैसे वे अपनी नोटिस का इंतज़ार कर रहे हों.

कभी हमेशा गुलजार रहने वाले इस मार्केट की अधिकांश दुकानें बंद हैं

इस दौरान जब हम दुकानदारों से बातचीत की कोशिश में थे. वहां हमें नगरनिगम के अधिकारी भी घूमते दिखे. नगर निगम के अधिकारी मध्यस्थता की कोशिश में लगे थे. कुछ व्यापारी उन्हें घेर कर बैठे थे. उनकी नजरें हमें कुछ ऐसे घूर रहीं थी कि हम यहां क्या कर रहे हैं. फिलहाल वहां की लगभग दुकानें बन्द हैं और जो 3-4 दुकानें खुली हैं. उन्हें खाली किया जा रहा है. वे अब भी यहीं कह रहे हैं कि प्रशासन उनके साथ मिल बैठकर बात करे. हालांकि अब तो यही खबर है कि दुकानदारों को दुकानें खाली करनी हैं. वे अपना सामान हटा लें, अन्यथा बुलडोजर तो है ही. बाबा विश्वनाथ की छत्रछाया में रहकर रोजगार करने वाले दुकानदार और उनसे जुड़े सैकड़ों परिवार एक झटके से सड़कों पर आ गए हैं. यह बनारस के क्योटो बनने के क्रम में वहां रहने वालों का छोटा सा नुकसान है. चीखिए, चिल्लाइए या छाती पीटकर रोइए – और का कीजिएगा…