महुआ मोइत्रा. तृणमूल कांग्रेस की महिला सांसद. पहली बार संसद पहुंची हैं. उन्होंने बीते रोज भारतीय संसद में अपनी पहली स्पीच दी. लगभग 10 मिनट तक दिए गए इस स्पीच को देख-सुनकर यह कहीं से नहीं लगता कि वह पहली बार की संसद सदस्या हैं.
लोकसभा मे दी गई स्पीच मे उन्होंने रामधारी सिंह दिनकर, राहत इंदौरी और आजादी के लड़ाके मौलाना आजाद को उद्धृत करते हुए भारतीय जनता पार्टी नित सरकार पर सीधे प्रहार किए. दिनकर को उद्धृत करते हुए उन्होंने बोला कि मतभेद इस देश का राष्ट्रीय चरित्र है. इसे खत्म नहीं किया जा सकता.
उन्होंने एनआरसी, बेरोजगारी, फेक न्यूज, मीडिया की स्वतंत्रता, किसानी, राष्ट्रवाद समेत तमाम मुद्दों पर सरकार को घेरने की कोशिश की. हालिया लोकसभा चुनाव के बारे में उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि यह पूरा चुनाव फेक न्यूज के सहारे चुना गया. उन्होंने 7 बिंदुओं के जरिए यह बात भी सबके सामने रखी कि किस प्रकार बीजेपी सरकार का रवैया तानाशाही है. इस दौरान उन्होंने अपने भाषण में अमेरिका के हॉलोकास्ट मेमोरियल म्यूजियम में 2017 में लगे पोस्टर का जिक्र किया. पोस्टर में फासीवाद के शुरुआती सात लक्षणों को रेखांकित किया गया है.
1- मजबूत और कट्टर राष्ट्रवाद से देश को नुकसान पहुंचा है. इस तरह के राष्ट्रवाद का नजरिया काफी संकीर्ण और डरावना है.
2- देश में मानवाधिकार हनन की कई घटनाएं घट चुकी हैं. सरकार के हर स्तर पर मानवाधिकारों का हनन हो रहा है. देश में ऐसा माहौल बनाया जा रहा है जिसमें नफरत के आधार पर हिंसा की घटनाएं बढ़ रही हैं.
3- मीडिया को उस हद तक नियंत्रित करने की कोशिश की जा रही है कि सोचा भी नहीं जा सकता.
4- देश में राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर शत्रु खड़ा करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है. हर कोई इस ‘बेनामी काले भूत’ से डर रहा है.
5- सरकार और धर्म के संबंधों पर भी उन्होंने सवाल खड़े किए. कहा कि सिटीजन अमेंडमेंट बिल के जरिए समुदाय विशेष के लोगों को निशाना बनाया जा रहा है.
6- सरकार ने सभी बुद्धिजीवियों और कलाकारों का तिरस्कार किया है. मोदी सरकार ने विरोध के सुरों को कुचलने की सभी कोशिशें की हैं.
7- उन्होंने कहा कि 2019 के आम चुनाव में जहां 60 हजार करोड़ रुपये खर्च हुए. वहां सिर्फ एक पार्टी ने इसका आधा हिस्सा खर्च कर डाला.
कौन हैं महुआ मोइत्रा?
महुआ राजनीति में आने से पहले जेपी मॉर्गन के साथ काम करने के अलावा बैंकिंग सेक्टर को भी अपनी सेवाएं दे चुकी हैं. वह न्यूयॉर्क में रहती थीं. उन्होंने तृणमूल के टिकट पर पश्चिम बंगाल के कृष्णानगर लोकसभा से चुनाव लड़ा और बीजेपी के कल्याण चौबे को करीब 63 हजार वोटों से पराजित किया.
कांग्रेस से भी जुड़ी रही हैं
महुआ ने साल 2008 में कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की थी. हालांकि कांग्रेस से उनका जल्द ही मोहभंग हो गया. उन्होंने साल 2010 में तृणमूल कांग्रेस की सदस्यता ली.
तृणमूल के टिकट पर बनीं विधायक
यहां हम आपको बता दें कि ममता बनर्जी ने उन्हें साल 2016 में करीमपुर से विधानसभा का टिकट दिया था. पार्टी के कई नेताओं को इस पर आपत्ति थी. उनका मानना था कि अपनी लाइफस्टाइल की वजह से वह बंगाल की जमीनी पॉलिटिक्स में मिसफिट हैं. हालांकि करीमपुर से जीत हासिल कर उन्होंने सबकी बोलती बंद करा दी.
बीजेपी ने कहा बाहरी
बीजेपी ने महुआ को लेकर कई बार बाहरी बनाम भीतरी का बखेड़ा खड़ा करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने अपने पैतृक संबंधों का हवाला देते हुए कहा कि उन्हें बंगाल में काम करने में कोई दिक्कत नहीं.
अपने विधानसभा में करवाया निवेश
करीमपुर से विधायक चुने जाने के बाद उन्होंने अपने पूर्व में किए गए कार्य और कार्य अनुभव का इस्तेमाल किया. बैंकिंग क्षेत्र से जुड़े होने का फायदा उठाते हुए उन्होंने अपने क्षेत्र में करीब 150 करोड़ का निवेश करवाया. ऐसे में सीएम ममता बनर्जी ने उनके काम को देखते हुए लोकसभा चुनाव का टिकट दिया और वहां भी वह जीतने में सफल रहीं. यहां हम आपको अंत में बताते चलें कि महुआ सिर्फ राजनीति तक सीमित नहीं हैं. उन्होंने इंटरनेट और सोशल मीडिया पर सरकारी सर्विलांस के खिलाफ भी याचिका लगाई थी.