राज्य के अलग-अलग आश्रय गृहों के संचालन के लिए हाल में चुने गए 50 एनजीओ का चयन रद्द कर दिया गया है. समाज कल्याण विभाग तीन माह के भीतर सभी आश्रय गृहों का संचालन अपने हाथ में ले लेगा. इनके टेकओवर तक राज्य में पहले से संचालित आश्रय गृहों का संचालन पुराने एनजीओ के माध्यम से पूर्ववत जारी रहेगा.
सरकार के निर्देश के मुताबिक अब आश्रय गृहों का संचालन किसी एनजीओ को नहीं दिया जाएगा. सूत्रों के अनुसार इन्हीं वजहों से नवचयनित 50 एनजीओ का चयन सोमवार को रद्द कर दिया गया. इन्हें किसी शेल्टर होम के संचालन की जिम्मेदारी नहीं दी गई थी. ऐसा स्पष्ट समझ में आ रहा है कि मुजफ्फरपुर बालिका गृहकांड और TISS की रिपोर्ट से पनपे भारी जनदबाव के बाद सरकार ऐसे निर्णय लेने को विवश हुई है.
गौरतलब है कि राज्य में अब भी करीब सौ एनजीओ शेल्टर होम का संचालन कर रहे हैं. TISS की रिपोर्ट के आधार पर विभिन्न एनजीओ पर कार्रवाई हुई है. वहां के बच्चों, संवासिनों को पटना, बेतिया, जमुई, भोजपुर आदि स्थानों पर भेजा गया है.
आश्रय गृहों में आमूलचूल परिवर्तन
आश्रय गृहों में आमूलचूल परिवर्तन करने व आधारभूत संरचना तैयार करने का प्रस्ताव शीघ्र ही कैबिनेट को भेजा जाएगा. मंजूरी के बाद सभी जिलों मे इन गृहों के लिए किराए पर नए मकान लिए जाएंगे. सभी शेल्टर होम के संचालन और नई भर्तियों पर करीब 50 करोड़ अतिरिक्त राशि सालाना खर्च होगी. अभी तक आश्रय गृहों के संचालन पर सरकार लगभग 48 करोड़ खर्च कर रही है. इस तरह विभाग इन संस्थानों पर दोगुनी राशि खर्च करेगा.