पश्चिम बंगाल में भाजपा को दहाई तक भी पहुंचने में संघर्ष करना पड़ेगा: प्रशांत किशोर

पश्चिम बंगाल में भाजपा को दहाई तक भी पहुंचने में संघर्ष करना पड़ेगा: प्रशांत किशोर

पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा का चुनाव होने वाला है और इसके मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कई बड़े नेता लगातार राज्य का दौरा कर रहे हैं और राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस की मुखिया और राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर काफी हमलावर भी हैं. भाजपा अभी से ही चुनाव में जीत का दावा करने लगी है और ऐसे में कभी पार्टी के लिए रणनीति बनने वाले चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने अपने एक ट्वीट में लिखा कि मीडिया का एक वर्ग भले ही यह दिखा रहा हो कि राज्य भाजपामय है लेकिन वास्तविकता यह है कि इन्हें दहाई संख्या तक भी पहुंचने में काफी संघर्ष करना पड़ेगा।

उन्होंने आगे कहामेरे इस ट्वीट को सेव कर लीजिए और अगर भाजपा ने इससे अच्छा प्रदर्शन किया तो मैं ट्विटर को छोड़ दूंगा.”

भाजपा के प्रवक्ता निखिल आनंद ने इस पर कहा है, ‘‘ प्रशांत किशोर का पुराना रिकॉर्ड रहा है कि जिस प्रदेश में काम करते हैं, वहां से खदेड़ दिए जाते हैं, वहां फिर दोबारा एंट्री नहीं होती है. और पश्चिम बंगाल के चुनाव के बाद से प्रशांत किशोर का राजनीतिक दलाल के तौर पर करियर खत्म हो जाएगा। ममता बनर्जी ने जिस तरह से पश्चिम बंगाल में निरंकुश शासन व्यवस्था कायम कर रखी है, जनता का उत्पीड़न प्रकाष्ठा पर है. भाजपा को पश्चिम बंगाल में सरकार बनाने से कोई रोक नहीं सकता है. पश्चिम बंगाल से आतंक का और निरंकुश शासन व्यवस्था का अंत होना तय है.  ’’

किशोर का ट्वीट अमित शाह की रैली के ठीक बाद आया है. आपको बता दें कि गृह मंत्री अमित शाह ने बंगाल में दिए अपने भाषण में कहा कि वो बंगाल को फिर से सोनार बंगाल बनाएंगे. उनकी पार्टी 294 में से 200 सीट जीतकर पार्टी बनाएगी. साथ ही भाजपा राज्य की कानूनव्यवस्था में भी सुधार लाएगी

आपको बता दें कि प्रशांत किशोर पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए तृणमूल कांग्रेस के खेमे में खड़े हैं.  इससे पहले प्रशांत किशोर ने 2014 में भाजपा के लिए रणनीति बनाई थी. उस समय उनके काम की खूब चर्चा हुई थी. नरेंद्र मोदी की मार्केटिंग से लेकर ब्रैंडिंग और ऐडवर्टाइजिंग का जो फॉर्म्‍युला प्रशांत किशोर लाए थे, वह सुपरहिट साबित हुआ था.

अब प्रशांत किशोर के सामने दो बड़े प्रॉजेक्‍ट हैं. पहला पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की 2021 में सत्‍ता में वापसी करानी है और फिर तमिलनाडु में डीएमके के चुनावी रणनीति तैयार करनी है.