कमलनाथ सरकार पर बीजेपी का दावा शिगूफा या सच?

कमलनाथ सरकार पर बीजेपी का दावा शिगूफा या सच?

लोकसभा चुनाव के साथ ही कुछ राज्यों की सरकार भी दांव पर लगने की बात की जा रही है. उसमें से एक है मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार. पिछले साल मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने यहां अपने 15 सालों से जारी सत्ता का सूखा समाप्त किया था. बीजेपी और संघ के मजबूत किले को राहुलकमलनाथ की जोड़ी ने ध्वस्त किया था. कांग्रेस 230 सदस्यों वाली विधानसभा में  114 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बन गई थी, और 4 निर्दलीय, 2 बसपा और 1 सपा विधायक के साथ मिलकर सरकार बना ली.

MP Congress Government

कमलनाथ सरकार के अल्पमत में होने का भाजपा का दावा

109 सीटों के साथ विपक्ष में बैठी भाजपा गाहेबगाहे सरकार पर अल्पमत में होने का ठप्पा लगाती रहती है. लोकसभा चुनाव परिणाम आने से पहले ही नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव द्वारा राज्यपाल को लिखी चिट्ठी ने फिर से विवाद खड़ा कर दिया. भार्गव ने अपनी चिट्ठी में राज्यपाल से कमलनाथ सरकार के अल्पमत में होने का आरोप लगाकर विधानसभा में फ्लोर टेस्ट करने का मांग किया था.

विवाद बढ़ने के भाजपा के शीर्ष कमान ने भार्गव को फटकार लगाई थी. लेकिन क्या भाजपा का दावा सच में सही था ? क्या कमलनाथ सरकार वाकई अल्पमत में है?  इस सवाल पर मध्यप्रदेश के राजनीतिक अखबार सुबह सवेरे के संपादक पंकज शुक्ला कहते हैं  देखिए, ये बीजेपी की माइंडगेम है. सरकार को उसके काम से दूर रखने के लिए अल्पमत का शिगूफा छोड़ दिया जाता है. कई बार इससे सरकार के कामकाज प्रभावित होते हैं, और उसी को बीजेपी जनता के बीच मुद्दा बना देती है

क्या कमलनाथ सरकार के पास बहुमत है?

अगर यह बात सही है तो क्या कमलनाथ सरकार के पास बहुमत है? इस पर पंकज शुक्ला कहते हैं, “चार बार विधानसभा में फ्लोर टेस्ट हो चुका है? कल ही कांग्रेस विधायकों की बैठक थी सभी ने एक स्वर में कमलनाथ को समर्थन दिया. अब पता नहीं बीजेपी कहां से दावा कर रही है.”

अल्पमत की बात पर जब कमलनाथ ने विधायक दल की बैठक में विधायकों के सामने इस्तीफा कार्ड खेला, तो सभी विधायकों ने एक स्वर में सरकार को समर्थन देने की बात कही. वहां मौजूद एक पत्रकारों ने बताया कि 118 विधायकों ने समर्थन पत्र पर हस्ताक्षर भी किए. समर्थन वाले में से चार विधायक अनुपस्थित थे, जिसके बारे में पार्टी को सूचित कर दिया गया था.

उधर बीजेपी उपाध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान ने सरकार गिराने मेंहमारी कोई रुचि नहीं हैकहकर फिर से कई सवालों को जगह दे दी है? क्या बीजेपी वाकई सरकार गिराना नहीं चाह रही है? या उससे सरकार गिर नहीं रही है? या कोई और मुद्दा है?  इस पर वरिष्ठ पत्रकार नितिन दुबे बताते हैं, “बीजेपी में गुटबाजी कांग्रेस से ज्यादा है. गोपाल भार्गव अलग रास्ते पर चलते हैं तो नरोत्तम अलग पर, शिवराज इधर जाते हैं तो कैलाश विजयवर्गीय उधर. यानी बीजेपी में सब एकदूसरे की टांग खींचने में ही लगे रहते हैं.”

Shivraj Singh Chouhan , Photo- The Hindu

टांग खींचने से उनका क्या तात्पर्य है?

इस पर दुबे कहते हैं, “गोपाल भार्गव, कैलाश विजयवर्गीय और नरोत्तम मिश्रा ये तीनों जानते हैं कि मध्यप्रदेश में शिवराज ही मुख्यमंत्री बनेंगे. इसलिए इनको बैकफुट पर किया जाए, और ये तीनों इसलिए बयान देते हैं

दरअसल मामला राजनीति वर्चस्व का है. भाजपा की नई तिकड़ी शिवराज के साथ कमलनाथ के मिलाप से नाखुश हैं. कमलनाथ  शिवराज के द्वारा किए गए सभी घोटालों पर मिट्टी डालने का काम कर अपना रास्ता आसान करने में लगे हैं. ये तिकड़ी इसी से परेशान हैं.  लेकिन बीजेपी के प्रवक्ता दीपक विजयवर्गीय इन सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहते हैं कि बीजेपी एकजुट है, हां शिवराज ने जो कहा है वही पार्टी का बयान है. यानी गोपाल भार्गव की चिट्ठी पार्टी का बयान नहीं.

उधर कांग्रेस के तेजतर्रार मंत्री जीतू पटवारी बीजेपी पर सरकार को अस्थिर करने का आरोप मढ़ते हुए दावा करते हैं कि बीजेपी कितनी भी कोशिश कर ले सरकार नहीं गिरेगी. ज्यादा सवालजवाब करने पर कहते हैं कि बीजेपी जहां से सोचना बंद करती है, कमलनाथ वहां से शुरू करते हैं.

इन सब के बीच मंत्रिमंडल की बैठक में कमलनाथ ने मंत्रियों को निश्चिंत होकर विकास पर ध्यान लगाने का आदेश दिया है.

सरकार पर फिलहाल तो खतरा टलता नजर आ रहा है. लेकिन मोदी शपथग्रहण के बाद ये विवाद एकबार फिर जोर पकड़ेगा. सरकार गिरेगी या नहीं? ये तो भविष्य बताएगा.

वैसे पत्रकार पंकज शुक्ला का मानना है कि सरकार पर असली खतरा रतलाम झाबुआ उपचुनाव के बाद ही शुरू होगा. अगर कांग्रेस वो सीट जीत लेगी तो बीजेपी बैकफुट पर आ जाएगी वरना एकबार फिर सरकार बनाने का शिगूफा छोड़ोगी.

द बिहार मेल के लिए यह रिपोर्ट अविनीश मिश्रा ने लिखी हैवह पेशे से पत्रकार हैं.