सप्ताह भर का बोझ उतार सकने वाली फ़िल्म है Dream Girl

सप्ताह भर का बोझ उतार सकने वाली फ़िल्म है Dream Girl

नौकरी के लिए लड़की की आवाज निकाल भर लेने और अंत में नाटकीय ढंग से मोरल देने (फिल्म के माध्यम से एक सीख देने) पर फ़िल्म समाप्त हो जाए तो ही भारतीय सिनेमा देखने का आनंद आ पाता है. अकेलेपन में हर आयु वर्ग के कहीं अंदर ही अंदर चुप-चाप खोते जाने को लेकर यह फ़िल्म काफी मारक साबित हुई है. बहरहाल शानदार डायलॉग और भरपूर अभिनय से भरी फ़िल्म ‘ड्रीम गर्ल’ देख लेनी चाहिए. शनिवार या रविवार को सप्ताह भर का बोझ उतार सकने वाली फ़िल्म में आयुष्मान खुराना का अभिनय आपके पक्ष में काम करेगा.

फिल्म की पटकथा

फ़िल्म शुरू होती है कि कालोनी में करम (आयुष्मान) बड़ा चर्चित है कि वह लड़की की बड़ी अच्छी आवाज निकाल लेता है. रामलीला में सीता बनता है. रासलीला में राधा.  करम के पिता जगजीत (अनु कपूर) की फ्यूनरल (अंतिम संस्कार से जुड़ी सामानों) की दुकान है. मां है नही. पिता पर काफी सारे लोन है. भरने के लिए करम नौकरी खोज रहा है, उसे कॉल सेंटर में पूजा बनने का अवसर मिलता है और साथ ही कालोनी के ही लड़की से माही (नुसरत भरुचा) से प्यार हो जाता है. इधर नुसरत के भाई को, जगजीत को, हवलदार राजपाल (विजय राज) को, बिजनेस वुमन रोमा को पूजा से प्यार हो जाता है. और फिर शुरू होती है फ़िल्म में अफरातफ़री. यह सबकुछ आपको बांधे रखेगा. अंत तक. यही इस फिल्म का हासिल भी है.

कलाकरों का अभिनय

अभिनय में आयुष्मान के नए प्रयोग वाकई कमाल के हैं. आंखों से इशारे करना या मथुरा की बोली को वैसे ही उतार पाना बेहद कमाल है. कई- कई जगह तो लगता है कि यह आयुष्मान ही कर सकते थे. पिता को मुस्लिम लडक़ी से शादी के लिए समझाने में जो अभिनय और प्रस्तुति की गई, वाकई तारीफ के काबिल है. कॉमर्शियल फिल्मों के अभिनेता को इस तरह का किरदार अदा करते हुए देखना बेहद सुखद है.

अनु कपूर ने क्या खूब अभिनय किया है. हर बार की तरह नया और अपना पुट लिए अभिनय आप अनु कपूर में महसूस करेंगे. अचानक से किसी मुस्लिम व्यक्ति की तरह अभिनय करना और शानदार अभिनय करना. विजय राज के चेहरे की भंगिमाओं ने उन्हें आज तक प्रासंगिक बना रखा है. वह आधा अभिनय तो देखने और बोलने के अंदाज़ से कर देते हैं बचा हुआ विजय राज के संवाद में दबा रहता है.

नुसरत भरुचा ने निराश किया. आयुष्मान के साथ संवाद में वह हल्की महसूस हो जा रहीं. मुख्य किरदार में इतनी स्पेस दे देना काम खराब कर सकता था. लेकिन डायलॉग ने काम संभाल लिया है. मनजोत सिंह का किरदार बतौर सह अभिनेता फब रहा है. बाकी मथुरा में पंजाबी ज़बान थोड़ी खटक सकती है. हालांकि पगड़ी वाले के मुँह से पंजाबी सुनने की आदत फिल्मों ने डलवा दिया है.  रोमा बनी यूट्यूब के दुनिया की स्टार निधि बिष्ट ने दमदार अभिनय किया है. अपने किरदार के साथ न्याय करते हुए आक्रोशित लड़की साबित हुईं हैं.

फिल्म के सेट और गाने 

गाने शानदार हैं. संगीत मीत बंधुओ का है. आखिरी के सीन को फिल्माने में काफी मेहनत और दिमाग लगा होगा. आखिरी के गाने की भव्यता ने फ़िल्म निर्माता पर सोचने को मजबूर कर दिया. एकता कपूर ने पैसे खर्च किए हैं. 30 करोड़ की फ़िल्म ने अब तक 160 करोड़ की कमाई कर ली है. बाकी संवाद के लिए राज शांडिल्य की तारीफ करनी होगी. उनके भविष्य हेतु शुभकामनाएं. 132 मिनट की यह फ़िल्म देख लेनी चाहिए.