सोचिए जैसे हिन्दू बजरंग दल, हिन्दू पुत्र और हिन्दू वाहिनी बना लेते हैं. वैसे ही अगर मुस्लिम कोई दल बना लें तो कितनी दिक्कतें होने लगेंगी? चारों तरफ क्या माहौल होगा? – मृत्युंजय पेरियार
इस सारे कांड के पीछे वर्चस्व की लड़ाई है. दो गिरोह हैं. एक गोलू गिरोह और दूसरा ताज गिरोह. गोलू गिरोह को बजरंग दल का शह है. माले ने पहल किया. मार्च किया. ई विफल हो गया. – सीपीआई (एमएल) नेता गोपाल रविदास बोले.
ताज का कोई गुट नहीं है. मोहल्ले के कुछ लड़के हैं जो ताज के दोस्त हैं. कोई जूता-चप्पल के दुकान पर रहता है. कोई मजदूरी करता है. क्या इन्हें देखकर लगता है कि ये कोई गुट चलायेंगे? क्या ये आपको दंगाई लगते हैं? – नसरीन बानो
ये सब खाली वोटबैंक के लिये हो रहा है. सारा मामला मुसलमानों की ओर झुका हुआ है. मुसलमानों को कोई गलत नहीं कहता. थाना-विधायक सब उनका है. -सुधीर कुमार
आखिर ऐसा क्या हुआ कि हमेशा शांत रहने वाला मसौढ़ी सांप्रदायिक हिंसा की जद में आ गया? क्या कुछ हुआ कि अब तक शांत रहने वाले इस इलाके में बजरंग दल के लोग दाखिल हो गए? पुलिस को फायरिंग करनी पड़ी?
पढ़ें मौका-ए-वारदात से जांच-पड़ताल कर लौटी द बिहार मेल की ग्राउंड रिपोर्ट…
तारेगना रेलवे स्टेशन के ठीक सामने है रहमतगंज बाजार व मोहल्ला. दूसरी तरफ है कुम्हारटोली. जहां से 28 तारीख (मंगलवार) के रोज सांप्रदायिक हिंसा की खबरें आने लगीं. जहां के वीडियोज व्हाट्सएप व फेसबुक पर धड़ाधड़ शेयर होने लगे. दो ओर से हो रही रोड़ेबाजी, गोलीबारी और पुलिस की ओर से चलाई जा रही गोलियां. अगले दिन ग्राउंड पर पहुंचने के बाद वहां के अधिकांश नौजवानों के पास वैसे वीडियोज दिखे. रहमतगंज चौराहा और दोनों तरफ की सड़क ईंट चलने से लाल. हालांकि अगले दिन तक पत्थरों को किनारे कर दिया गया था.
जब हम 29 अगस्त (बुधवार) को रहमतगंज मोहल्ले में दाखिल हुए तो चारों तरफ सन्नाटा था. लोग सहमे हुए भी थे और बातें करने को बेचैन भी. वहां खड़े लड़कों व पुरुषों से बातचीत हुई तो वे बताने लगे कि मंगलवार की सुबह इधर और उधर के लड़कों में कुछ कहासुनी हुई. किस मामले को लेकर कहा-सुनी हुई. इस पर कोई स्पष्टता नहीं. हल्की झड़प भी हुई. थोड़ी देर में देखा गया कि सैकड़ों की संख्या में बजरंग दल के लोग पहुंच गए. उनकी पूरी प्लानिंग थी. मुसलमानों को चिन्हित करके पीटा जाने लगा. उनकी दुकानों में तोड़फोड़ होने लगी. उनकी दुकानें लूटी जाने लगीं. चारों तरफ अफरातफरी मच गई. जब हमने पूछा कि रोड़ेबाजी तो दोनों तरफ से होने की तस्वीरें और वीडियोज मिले हैं तो जवाब मिला कि उधर से सब मारेगा तो इधर से हमलोग बचाव तो करेंगे ही न? बजरंग दल वाला सब तलवार लेके भी आया था.
इस पूरी घटना के बाबत जब हम जहानाबाद के रहने वाले और हमेशा मसौढ़ी-तारेगना बाजार आने-जाने वाले ऋषिकेश शर्मा से बात करते हैं तो वे कहते हैं कि यहां हिन्दू और मुसलमानों की संख्या लगभग बराबर है. ऐसे में कोई किसी से दबता नहीं है. मामला पूरी तरह खुद को मजबूत रखने का है. वहीं मृत्युंजय पेरियार कहते हैं कि चुनावी वर्ष सामने है. मोदी सरकार हर खेमे पर पूरी तरह फेल रही है तो ऐसे में बजरंग दल वाले ध्रुवीकरण की कोशिश में लगे हैं. मोहल्ले में ही रहनेवाले और जिम संचालक मुकुल शर्मा कहते हैं कि बजरंग दल वाले इसी बीच साल-डेढ़ साल से दिख रहे हैं. यहां कोई हिन्दू पुत्र संस्था भी बन गई है. जब उन लोगों ने फेसबुक पर इस घटना के खिलाफ कुछ लिखा तो लोग उन्हें गालियां भी देने लगे.
मुकुल कहते हैं कि जिस दिन ये पूरा मामला हुआ उस दिन वे बीच-बचाव कर रहे थे. दोनों तरफ से रोड़ेबाजी हो रही थी. दोनों तरफ से रोड़ेबाजी करने वाले उनको बचाकर रोड़ेबाजी कर रहे थे और बजरंग दल वाले उन्हें हट जाने को कह रहे थे. जिसमें बाद में किसी ने उन्हें खींचकर किनारे भी कर दिया. वे चाहते हैं कि उनका मोहल्ला और शहर शांत रहे ताकि पूरे इलाके का ठप्प हो गया धंधा चलता रहे. लोग आपसी भाईचारे के साथ रहें. उन्होंने इसे लेकर कई प्रयास किये हैं. जिसमें हिन्दू व मुसलमान समुदाय के लड़कों को शामिल करते रहे हैं. ताज मलिक भी उनमें से एक रहा है.
छेड़खानी और किसी शख्स को गोली मारने की बात बेबुनियाद
28 तारीख के रोज जैसी खबरें आईं उसके अनुसार हिन्दू समुदाय की किसी लड़की को छेड़ा गया था. जिसका विरोध हिन्दुओं ने किया. प्रतिक्रियास्वरूप मुसलमानों ने लड़की के पिता को गोली मार दी. हालांकि ग्राउंड पर जाने के बाद हमने जब इस मामले में पूछताछ की तो सभी ने इस बात को अफवाह करार दिया. शासन-प्रशासन के लोगों और थाना प्रभारी ने भी ऐसे किसी भी मामले से इनकार किया.
गोली लगने की खबर से मामला गर्माया
सुबह-सुबह की एक झड़प के बाद दोनों ओर गहमागहमी थी. इस बीच गोलू गुट के एक लड़के को गोली लगने की खबर उड़ी. उस लड़के का नाम सूरज पंडित (कुम्हार) है. उसका घर भी कुम्हारटोली में ही है. मोहल्ले में सुनी गई बात के अनुसार वो गोलू गुट और बजरंग दल से जुड़ा है लेकिन जब हमने कल उससे पीएमसीएच में बात की तो उसने इन तमाम बातों को सिरे से खारिज किया. वो एक मजदूर है और ट्रेलर बनाने और डेकोरेशन का काम करता रहा है. गोली उसके पुट्ठे पर लगी है और गोली अभी भी फंसी है. डॉक्टर ने उसे खतरे से बाहर बताते हैं. सूरज की ओर से अभी तक कोई एफआईआर नहीं कराई गई है. जब हमने उसके परिजनों से इसके बाबत पूछा तो वे कहने लगे कि उन्हें पता ही नहीं कि किसने गोली चला दी तो फिर किस पर एफआईआर करा दें? पहले मरीज का उपचार करायें कि थाना-कचहरी दौड़ें?
पीएमसीएच के उसी वार्ड में मारपीट के शिकार मोहम्मद कासिफ भी एडमिट है. उसके सिर और देह पर कई चोटें हैं. मौके पर मौजूद उसकी मां कहती हैं कि, “कासिफ तो इन झगड़े-झंझटों में कभी नहीं रहता. वो तो रहमतगंज में जूते की दुकान चलाता है. भीड़ एकदम से आई और उसे मारने-पीटने लगी. दुकान में तोड़-फोड़ करने लगी. उसका गल्ला लूट ले गई. मुसलमानों के दुकानों को चिन्हित कर लूटा गया. हिन्दुओं के दुकानों को कोई कुछ नहीं किया.” जब हमने बगल में ही एडमिट सूरज के बारे में और बजरंग दल से उसके ताल्लुकात के बारे में पूछा कि क्या सूरज बजरंग दल से जुड़ा है तो वहां मौजूद कासिफ के छोटे भाई ने दबे स्वर में कहा कि सूरज भी बजरंग दल वालों के साथ रहता है.
उसी वार्ड में एक और लड़का ललेश यादव भी एडमिट है. उसके सिर और जबड़े पर चोट है. उसके परिजनों का कहना है कि उसे किसी ने चाकू मार दिया. उसे तो पता भी नहीं कि उसे किसने और क्यों मारा? उसका इस झगड़े-फसाद से कोई लेना-देना नहीं.
दो गुटों के वर्चस्व की लड़ाई
बातचीत में ही पता चलता है कि ये दो गुटों के बीच आपसी वर्चस्व की लड़ाई है. गोलू गिरोह और ताज गिरोह. गोलू राजपूत जाति से ताल्लुक रखता है और ताज मुसलमान है. इन दोनों गुटों के बीच पुरानी लड़ाई है, मगर बजरंग दल और ऐसी हिंसा पहली बार ही दिखी. मौके पर मौजूद लड़के बताते हैं कि गोलू के गुट में तो अधिकांश हिन्दू ही हैं. अलग-अलग जातियों के लेकिन ताज गुट में भी हिन्दू हैं. इसके अलावा यहां प्लास्टिक गैंग और सुलेशन गैंग भी हैं.
लोकल पुलिस और थाना प्रभारी की भूमिका पर उठ रहे सवाल
इस पूरे मामले में जब हम पूरे मोहल्ले में घूमे और लोगों से बातचीत की तो लोगों ने स्थानीय पुलिस और थाना प्रभारी शंभू यादव की लापरवाही और झुकाव को जिम्मेदार बताया. ताज की मां कहती हैं कि थाना प्रभारी पूरी तरह उनके पक्ष में झुके हैं. उनके घर पर चढ़ाई कर दी. गोलू को पुलिस का शह न होता तो वो कैसे छुट्टा घूमता जबकि उसपर गोली चलाने का मामला है. ताज ने न किसी लड़की को छेड़ा है और न ही किसी से मारपीट की है. पुलिस फिर भी हमेशा उसे ही पकड़ती है.
वहां के ही स्थानीय निवासी और कभी कांग्रेस से जुड़े रहे मृत्युंजय पेरियार कहते हैं कि. “पुलिस की भूमिका संदिग्ध है. जब उन्हें पता था कि मंगलवार की सुबह मामला इस कदर बढ़ गया है तो वे चार पुलिसकर्मी लेकर क्या करने जा रहे थे? जब बजरंग दल ऐसी तैयारी से आया था तो वे चार पुलिसकर्मी लेकर वहां क्या करने गए थे. उनकी लापरवाही ने ही मामले को बिगाड़ा है. यदि उनका शह न होता तो ऐसा कैसे संभव है कि गोलू छुट्टा घूमता.”
वे कहते हैं कि, “सोचिए जैसे हिन्दू बजरंग दल, हिन्दू पुत्र और हिन्दू वाहिनी बना लेते हैं. वैसे ही अगर मुस्लिम कोई दल बना लें तो कितनी दिक्कतें होने लगेंगी? चारों तरफ क्या माहौल होगा?”
हमने जब इस सिलसिले में थाना प्रभारी शंभू यादव से बात की तो वे बोले कि, “ऐसी बातें बेबुनियाद हैं. इस मामले की शुरुआत भी कोई डेढ़ साल पहले हुई है. केस नंबर 411 है. दो पक्षों में गोली चली. दोनों पक्ष के लोग जेल गए और बेल पर हैं. इसे ही बजरंग दल रह-रहकर सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश करता रहा है. बीते रामनवमी के एक दिन पहले भी बजरंग दल वालों ने तलवार, बल्लम और गड़ासे के साथ जुलूस निकालने की कोशिश की थी. उन्होंने इस मामले में कई लोगों को धरा-पकड़ा और उनके मंसूबे को फेल किया. वे रह-रहकर अफवाह फैलाने का काम करते हैं. वे वाजपेयी जी की कलश यात्रा के दिन ऐसी किसी भी झड़प की बात से इनकार करते हैं.”
वाजपेयी के अस्थि कलश यात्रा के दिन हुई थी मारपीट!
ताज की मां (नसरीन बानो- जदयू की प्रखंड अध्यक्ष ) बताती हैं कि बीते 24 अगस्त को मसौढ़ी में भाजपा वाजपेयी जी की अस्थि कलश यात्रा निकाल रही थी. कुछ मुस्लिम लड़के किनारे खड़े थे कि जुलूस निकल जाने पर वे सड़क पार करेंगे. इसी बीच गोलू गुट के लड़के उन्हें मारने लगे. यात्रा में साथ चल रही किसी भाजपा नेता ने मामला शांत करवाया और थाना प्रभारी को डांटा कि क्या वे यही सब करवाना चाहते हैं. हालांकि थाना प्रभारी ने ऐसी किसे भी मामले से इनकार किया.
उसी दिन गोलू गुट के कुछ लड़के (गोलू का भाई विक्रम) शाम 7 बजे के आसपास ताज के घर आया और उसे आवाज देने लगा. उसका कहना था कि ताज ने उसके भाई का अपहरण कर लिया है. वे गालीगलौज करने लगे और ताज के घर में दाखिल हो गए. वे ताज की बहन का दुपट्टा भी छीन ले गए. जब ताज की मां इस मामले को लेकर थाने पहुंचीं तो उनका मामला नहीं दर्ज किया गया.
जब हमने उनसे ताज और गोलू द्वारा गिरोह बनाये जाने पर सवाल पूछा तो बोलीं कि, “ताज का कोई गुट नहीं है. गोलू का कई गिरोह है प्लास्टिक गिरोह है. बजरंग दल है और न जाने क्या-क्या. मोहल्ले के कुछ लड़के हैं जो ताज के दोस्त हैं. वही सब को मानियेगा तो मानिये कि उसका गिरोह है. कोई जूता-चप्पल के दुकान पर रहता है. कोई मजदूरी करता है. क्या इन्हें देखकर लगता है कि ये कोई गुट चलायेंगे? क्या ये आपको दंगाई लगते हैं? इनकी शक्ल-सूरत देख लीजिए. दंगाई है तो यही सब दंगाई है.” वो कहती हैं कि जब ये साराकुछ चल रहा था तब तो ताज था भी नहीं.
वो कहती हैं कि वो इस मामले को नीतीश कुमार तक लेकर जाएंगी. जब हमने उनसे उनकी ही सरकार और गठबंधन में जिताई गई राजद के स्थानीय विधायक का जिक्र किया तो वो बोलीं. भाजपा वालों को इस बात का बड़ा अफसोस था कि नीतीश कुमार ने उनको बीच में छोड़ दिया. भाजपा लगी रही. इस बीच नीतीश ने राजद के साथ भी सरकार चलाई. फिर न जाने क्या हुआ कि वे भाजपा के साथ चले गए.
गोलू फरार है
जब हम काफी पूछताछ करते हुए गोलू के घर पहुंचे तो वहां गोलू नहीं मिला. गोलू फरार है. उस पर कई मामले दर्ज हैं. दरवाजा खटखटाने पर घर से पहले एक बुजुर्ग महिला (गोलू की दादी) निकलती हैं. उनसे जब किसी मर्द को बाहर भेजने की बात कही जाती है तो गोलू के चाचा बाहर आते हैं. वे अपना नाम सुधीर बताते हैं. इनके ही लड़के (आदित्य) के अपहरण का जिक्र पहले हुआ है. जब हम सुधीर और आदित्य से उसके अपहरण के बारे में पूछते हैं, तो आदित्य कहता है कि ताज गुट के ही एक लड़के मोहम्मद अफसर ने उसे पहले पकड़ा और फिर गांधी मैदान की ओर ले गए. उसे मारा-पीटा और पिस्टल भी सटा दिया. उन लोगों ने इस पूरे मामले को लेकर एफआईआर भी कराया है.
हमने जब गोलू के चाचा से गोलू के बजरंग दल से जुड़े होने की बात पूछी तो उन्होंने मना किया. कहा कि गोलू पर पिछले साल एक केस हो गया है. वो तभी से इधर-उधर भागा फिरता है. गोलू का बजरंग दल से कोई लेना-देना नहीं. बजरंग दल वालों ने जब ये खबर सुनी तो वे खुद ही चले आए. हालांकि वे दबे स्वर में कहते हैं कि ये सब खाली वोटबैंक के लिये हो रहा है. सारा मामला मुसलमानों की ओर झुका हुआ है. मुसलमानों को कोई गलत नहीं कहता. थाना-विधायक सब उनका है. गोलू ने कोई गलती नहीं की है.
शासन-प्रशासन के मार्च और शांति अपील से इलाके में शांति
घटना के अगले दिन तारेगना रेलवे स्टेशन से सटे मोहल्लों में अफवाहों का बाजार गर्म रहा. मसौढ़ी के व्यस्ततम बाजारों में से एक रहमतगंज की सारी दुकानें बंद रहीं. कुछ खुलीं भी तो फिर से बंद हो गईं. थाने में और मोहल्लों में शांति समिति की बैठकें देखने को मिलीं. शाम होते-होते ग्रामीण एसपी आनंद कुमार, एसडीओ संजय कुमार, एसडीपीओ सोनू राय व थानेदार शंभू यादव को इन तमाम मोहल्लों के रहवासियों से अफवाहों से बचने और भाईचारे की अपील के बाद मोहल्ला अपेक्षाकृत शांत दिखा. चप्पे-चप्पे पर मौजूद पुलिस और रैपिड एक्शन फोर्स की मौजूदगी की भी शांति बहाली में बड़ी भूमिका दिखाई पड़ी.