उत्तरप्रदेश का सोनभद्र जिला गोलियों की गूंज से एक बार फिर थर्रा उठा है. नब्बे के दशक में नक्सल हिंसा के केन्द्र में रहने वाला यह जिला इन दिनों अपेक्षाकृत शांत था, लेकिन इस बीत वह फिर से खबरों के केन्द्र में है. अव्वल तो वहां से आदिवासियों और स्थानीय दबंगों के बीच जमीन को लेकर हुए विवाद के बाद नरसंहार की खबरें आ रही हैं. वहीं दूसरी ओर योगी सरकार ने वहां पीड़ित परिवारों से मिलने जा रही विपक्ष की नेता प्रियंका गांधी को मिर्जापुर में रोक लिया है. इस घटना के बाद से ही पूर्वांचल की राजनीति एक बार फिर से गर्मा उठी है.
इस घटना ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के राज्य में लॉ एंड ऑर्डर की पोल खोलकर रख दी है. ताजा अपडेट्स के हिसाब से सोनभद्र नरसंहार में ग्राम प्रधान समेत 11 नामजद और 50 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है. नरसंहार में इस्तेमाल किए गए हथियारों को पुलिस ने बरामद कर लिया है. हालांकि गोलियां बरसाने वाला ग्राम प्रधान अभी फरार है, जबकि ग्राम प्रधान के भतीजे समेत 24 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, यह पूरा मामला खेत और उसके जोत का है. बुधवार को सोनभद्र के घोरावल थाना क्षेत्र के मूर्तिया गांव में जमीन कब्जाने को लेकर फायरिंग हुई. गांव के बाहरी इलाके में सैकड़ों बीघा खेत है. इस खेत को गांव के कुछ लोग पुश्तैनी तौर पर जोतते रहे हैं. गांव वालों के मुताबिक इस जमीन का एक बड़ा हिस्सा प्रधान के नाम पर है. ग्राम प्रधान यज्ञदत्त ने एक आईएएस अधिकारी से 100 बीघा जमीन खरीदी थी. यज्ञदत्त ने इस जमीन पर कब्जे के लिए बड़ी संख्या में अपने साथियों के साथ पहुंचकर ट्रैक्टरों से जमीन जोतने की कोशिश की. स्थानीय ग्रामीणों ने इसका विरोध किया. इसके बाद ग्राम प्रधान पक्ष के लोगों ने गांव वालों पर ताबड़तोड़ गोलियां चला दीं. इस हिंसक वारदात को अंजाम देने 32 ट्रैक्टर से 300 से अधिक लोग आए थे. इस घटना में 10 लोगों की मौत हो गई, जबकि 23 लोग घायल हैं. मृत व घायल लोगों में महिलाएं भी शामिल हैं.
ट्विटर पर हमले जारी, सरकार ने घोषित किया मुआवजा
इस हृदयविदारक मामले पर प्रियंका गांधी ने योगी आदित्यनाथ को घेरते हुए ट्वीट किया है कि भाजपा-राज में अपराधियों के हौसले इतने बढ़ गए हैं कि दिन-दहाड़े हत्याओं का दौर जारी है. सीएम ने मृतक परिवारों के लिए 5 लाख की मुआवजा राशि का ऐलान किया है. साथ ही कहा है कि कांग्रेस की गलत नीतियों की वजह से आदिवासियों की जमीन छीनी गई है. उन्होंने सोनभद्र के मजिस्ट्रेट को भी तलब किया है कि वे बताएं कि आखिर ग्रामीणों को पट्टे क्यों नहीं दिए गए.
यहां हम आपको बताते चलें कि उत्तरप्रदेश का सोनभद्र जिला एक आदिवासी बाहुल्य जिला है. प्राकृतिक सौंदर्य को खुद में समेटे यह जिला अपेक्षाकृत शांत जिला माना जाता है. इस घटना ने पक्ष और विपक्ष को एकदम से आमने-सामने ला दिया है. इस मामले पर प्रियंका गांधी जहां सोनभद्र जाने पर तुली हैं. वहीं समाजवादी पार्टी के नेताओं ने भी विधानसभा में विरोध प्रदर्शन किया है.