कश्मीर में पबजी जैसे गेम का बैन होना सुकून की बात क्यों है?

कश्मीर में पबजी जैसे गेम का बैन होना सुकून की बात क्यों है?

कल से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कश्मीर के लोग एक लेटर डाल रहे हैं. उस लेटर में कश्मीर में ‘प्लेयर अननोन बैटल ग्राउंडस’ यानी सरल शब्द में कहें तो पबजी को बैन करने की बात लिखी है. श्रीनगर के डिप्टी मेयर शेख मोहम्मद इमरान ने राज्य के चीफ सेक्रेटरी को पबजी बैन करने को लेकर एक लेटर लिखा था, जिसके आगे बढ़ाते हुए वहां के चीफ सेक्रेटरी ने ये लेटर केंद्र सरकार को लिखा है. अगर केंद्र से मंजूरी मिलती है तो शायद एक-दो दिन के बाद पबजी कश्मीर में बैन हो भी जाए.

हालांकि कश्मीर से पहले गुजरात सरकार पबजी को राज्य में बैन कर चुकी है. वहां पर भी बच्चे पबजी के लत के चक्कर में सबकुछ भूल बैठे हैं. कश्मीर जैसे राज्य में पबजी बैन होना सुकून की बात है. क्यों? ये समझने के लिए आप पहले नीचे लिखे गए इन तीन कहानियों को पढ़िए. मैं आपको बता दूं कि ये सारी कहानियां मुझे कश्मीर के अलग-अलग लोगों ने बताई है.

चीफ सेक्रेटरी द्वारा लिखी गई चिट्ठी

पहली

कश्मीर के बारामूला में रहने वाले दानियाल अपने कुछ दोस्तों को लेकर अपने एक अन्य दोस्त से मिलने उसकी दुकान पर जाता है. दुकान पहुंचकर वह देखता है कि उसका दोस्त फोन पर एकदम खोया हुआ है. लगभग 20 मिनट सामने बैठे रहने के बाद भी दुकान वाले दोस्त को एहसास नहीं है कि उसके कुछ दोस्त उससे मिलने दुकान पर आए हैं और ठीक उसके सामने बैठे हैं. उसी दौरान कुछ ग्राहक सामना खरीदने आते हैं और दुकान चलाने वाले लड़के ने सबको ये कहकर वापस लौटाया था कि सामान नहीं है, जाओ संडे को आना. मेरा दोस्त ये सब देखकर हैरान था. फिर बातचीत शुरू हुई तो पता चला कि उसका जो दोस्त दुकान चलाता है वो उस समय पबजी खेलने में व्यस्त था इसलिए उसे कुछ भी ध्यान नहीं था और ना वो चाहता था कि कोई उसे डिस्टर्ब करे.

दूसरी

पहला किस्सा आपको बिल्कुल नॉर्मल लग सकता है लेकिन दूसरा नहीं और कश्मीर जैसी जगह के लिए तो बिल्कुल भी नहीं. अशफाक (बदला हुआ नाम) की गिनती 2017 के पहले तक आवारा लड़कों में होती थी. क्योंकि वो नशा करता था, सारा समय लड़कियों में बर्बाद करता था और पढ़ाई से कोई लेनादेना नहीं था. फिर 2017 में अचानक वो धार्मिक हो गया. घर-घर जाकर लोगों को नमाज पढ़ने के फायदे और धर्म से जुड़ी चीजों के लिए प्रोत्साहित करने लगा. हाल ही में एक दिन वो अपने घर पर बैठकर पबजी खेला रहा था. जैसा कि आप सब जानते हैं कि पबजी में आप दूर बैठे लोगों से ना सिर्फ जुड़ सकते हैं बल्कि बात भी कर सकते हैं. उस समय अशफाक पबजी खेलते समय इयरफोन का इस्तेमाल नहीं कर रहा था और वो गेम में अपने साथी को बोल रहा था.

”सुन जो भी हथियार मिले सबको उठा ले…एक भी हथियार नहीं छोड़ना है. सबको  उड़ाना है और सबको मार देना है.”

जिस वक्त अशफाक पबजी में ये सब बोल रहा था उस समय उसे अंदाज भी नहीं था कि उसकी मां पीछे खड़ी ये सारी बातें सुन रही थीं. उसकी मां उसके पास आई और गले लगाकर रोने लगी. पूछने लगी बेटा तू किस जमात (मिलिटेंट ग्रुप) के साथ जुड़ गया है, क्यों ऐसा कर रहा है. छोड़ दे ये सब. फिर अशफाक ने बताया कि वो पबजी खेल रहा था.

तीसरी

श्रीनगर के डाउनटाउन के रहने वाले जुबैर (बदला नाम) को भी पबजी लत लगी हुई है. एक दिन रात में खाना खाने के बाद वो अपने कमरे में फोन पर पबजी खेला रहा था. गेम खेलने के दौरान जुबैर का ईयरफोन काम नहीं कर रहा था. ईयरफोन का काम ना करना जुबैर के लिए किसी तरह का खलल नहीं था क्योंकि वो अपने नानू के घर में था और सेफ था.  वो स्पीकर पर अपने टीम के लोगों से बात करते हुए गेम में खोया था. वो बार-बार अपने टीममेट को कह रहा था.

“ये वाला वैपेन उठा..तेरे पीछे के घर में छिपे हैं, ठीक से जा और मार उन्हें. मैं इधर से आ रहा…तू वो दूसरा वाला हथियार उठा.”

गेम में खोए जुबैर को नहीं पता था कि उत्साह में वो बहुत तेज बात कर रहा था और उसकी बातों को सुनकर उसके नानू, मामू, मामी यानी का सारा नानी घर उसके रूम में पहुंच चुका था. जुबैर के नानू ने सवालों का बौछार शुरू किया, जुबैर ने बेहद मासूमियत के साथ कहा कि वो तो गेम खेल रहा था. उसका इतना कहना था कि उसके नानू उसे एक जोर का चांट मारा.

इन किस्सों के अलावा इस बार वहां पर दसवीं और बारहवीं बोर्ड रिजल्ट में लड़कों की परफॉर्मेस बेहद खराब रही है. घरवालों ने इसका कारण पबजी खेलना बताया है. मैं यहां आपको बता दूं कि कश्मीर में बोर्ड एग्जाम अक्टूबर-नवंबर में होते हैं. एग्जाम का रिजल्ट जनवरी तक आ जाता है. बोर्ड रिजल्ट को थोड़ी देर के लिए परे रख भी दे तो मुझे ये लगता है कि पबजी जैसे गेम कश्मीर के लिए नहीं है. जहां पर हालात इतने खराब हैं, जहां शक के आधार पर आपको डिटेन किया जा सकता है, वहां पर पबजी खेलना बेहद ही रिस्की लगने लगता है.

अशफाक घर में पबजी खेला रहा था इसलिए वो बात इतनी बड़ी नहीं हुई लेकिन जरा सोचिए अगर खुले में कहीं बैठकर पबजी खेल रहा होता और वहां पर वो कहता कि सारे हथियार उठा ले, सबको उड़ा देना है, मार देना है और ये बात वहां मौजूद पुलिस फोर्स ने सुनी होती तब क्या नजारा होता. इसके अलावा पबजी एक ऐसा गेम है जिसमें हथियार, गोली, बम, मारने मतलब वायलेंस की बात है. कश्मीर जो कि पहले से ही बारूद की ढेर पर बैठा है. पहले से वहां के नौजवानों का ब्रेन वॉश हो रखा है, वो भटक रहे हैं, वहां पर ये गेम उनके लिए कितना खतरनाक है. ये उन्हें किसी सुकून की तरफ नहीं ले जा रहा है बल्कि हथियार के करीब ले जा रहा है.

ऊपर लिखे गए किस्सों को सुनकर मैं पहले खूब हंसी थी लेकिन इन लड़कों के घरवालों का रिएक्शन याद आया तो हंसी लगभग गायब हो गई. फिर लगा ये हंसने वाली बात नहीं है. कश्मीर में इस गेम से किसी भी नौजवान के बुरे दिन शुरू हो सकते हैं. शायद कल को हमें अखबार में हेडिंग मिले कि पबजी खेलने की वजह से कोई मारा गया. अशफाक की मां का रोना हो या जुबैर के नानू का वो चांटा. उन दोनों के लिए घरवालों का रिएक्शन नॉर्मल होगा लेकिन मुझे जुबैर के नानू के चांटे में उनका डर और बुरा सपना दिखा, जो चांटा मारने के साथ ही टूटा होगा.

पबजी है क्या

पबजी मोबाइल पर खेला जाना वाला एक ऑनलाइन मल्टीप्लेयर गेम है, जिसमें कम से कम दो और ज्यादा से ज्यादा सौ खिलाडी एक साथ खेल सकते हैं. पबजी में खिलाड़ी चाहे तो एक टीम की तरह खेल सकते हैं या अकेले ये पूरी तरह से उसकी मर्जी है. अगर खिलाड़ी टीम की तरह खेलना चाहे तो हर एक टीम में चार लोग होते हैं. गेम शुरू होने के साथ ही लोगों को हेलिकॉप्टर के जरिए एक टापू पर उतार दिया जाता है. टापू पर उतरने के बाद सारे खिलाड़ी खाली होते हैं फिर उन्हें टापू पर मौजूद घर में घुसकर वहां से हथियार, मेडिकल किट और जंग में लगने वाले सारे सामान को उठाना होता है.

हथियार मिलने के साथ ही टीमों में जंग शुरू हो जाती है. खिलाड़ी छिपते हुए दूसरे टीम के सदस्य को खत्म करने लगते हैं. एक गेम खत्म होने में 40 मिनट का समय लगता है. हर टीम एक-दूसरे से लड़ती हैं. जैसे-जैसे गेम बढ़ता है टापू का एरिया छोटा होते जाता है. एरिया छोटा होने की वजह से छिपना मुश्किल होता है फिर भी छिपते-छिपाते जो अंत तक गेम में बना रहता है, वो विजेता घोषित होता है. बतौर इनाम उसे चिकेन डिनर मिलता है.