कोरोना वायरस: दिन कुछ ऐसे गुजारता है कोईदेश

कोरोना वायरस: दिन कुछ ऐसे गुजारता है कोई

बालकनी पर केहुनी टिकाकर खड़े होना और नीम की पीली पड़ी पत्तियों को गिरता देखना, दिन कुछ ऐसे गुजरता है.…

लॉकडाउन डायरी: छूटती दुनिया के पास होने का सुख मौत के दुख पर बहुत भारी पड़ता है…खबरें

लॉकडाउन डायरी: छूटती दुनिया के पास होने का सुख मौत के दुख पर बहुत भारी पड़ता है…

देर से छत पर बैठा आसमान देख रहा हूँ। ऐसा भरा हुआ आसमान और ऐसी शांति, एकबारगी तो छलावा होने…

लॉकडाउन डायरी नीदरलैंड से – वर्क फ्रॉम होम : ‘वर्क’ कम “होम” ज्यादा…खबरें

लॉकडाउन डायरी नीदरलैंड से – वर्क फ्रॉम होम : ‘वर्क’ कम “होम” ज्यादा…

नमस्ते, चलिए वहीं से शुरू करते हैं जहां छोड़ा था. पहला भाग अगर नहीं पढ़ा हो तो यहाँ पढ़िए. बात…

लॉकडाउन जर्नल: बाहर का अन्याय खत्म करने के लिए हमें भीतर का अन्याय खत्म करना होगाखबरें

लॉकडाउन जर्नल: बाहर का अन्याय खत्म करने के लिए हमें भीतर का अन्याय खत्म करना होगा

मुझे लगता है कि मैं एक चक्रवात के बीच फँसी हूँ. दो अलग दुनियाओं से उठती हवाओं का बना चक्रवात.…

लॉकडाउन डायरी: कि तय चीजें कहां हुई हैं, होती हैं…खबरें

लॉकडाउन डायरी: कि तय चीजें कहां हुई हैं, होती हैं…

आज 29 मार्च है. लॉकडाउन का 5वां दिन. आज बनारस में होना तय था. विश्वविद्यालय के साथियों के साथ (दस…