17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने पर योगी व मोदी सरकार आमने-सामने

17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने पर योगी व मोदी सरकार आमने-सामने

देश के सबसे बड़े सूबे (उत्तरप्रदेश) और केन्द्र की भाजपा सरकार आमने-सामने आ गए दिख रहे हैं. उत्तरप्रदेश में चल रही योगी सरकार की ओर से ओबीसी की 17 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल किए जाने के फैसले को केन्द्र सरकार ने गैर-कानूनी कहा है. केन्द्र ने भले ही योगी सरकार के इस फैसले को मानने से इनकार कर दिया हो. वे अब भी इस फैसले से डिगते नहीं दिख रहे कि 17 पिछड़ी जातियों को जस का तस रहने दिया जाए.

यूपी सरकार हाइकोर्ट का दे रही हवाला
इस पूरे मामले पर योगी सरकार का स्पष्ट कहना है कि केंद्र सरकार चाहे कुछ भी कहे लेकिन योगी सरकार 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति के सर्टिफिकेट और सुविधाएं देती रहेगी. यूपी सरकार ने साफ तौर पर कहा है कि 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति का दर्जा फिलहाल हाइकोर्ट के आदेश से मिला है. जब तक अदालत का आखिरी फैसला इस पर नहीं आ जाता, तब तक उन्हें अनुसूचित जाति का दर्जा हासिल रहेगा.

उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री और सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थ नाथ सिंह ने एक खबरिया चैनल से बातचीत में यह कहा है कि यह अदालत का अंतरिम आदेश है. जब तक अदालत का आखिरी फैसला इस मामले में नहीं आता, तब तक सरकार न सिर्फ उन जातियों को अनुसूचित दर्जे में मानेगी बल्कि उन्हें अनुसूचित जातियों के सर्टिफिकेट व लाभ देती रहेगी. वहीं प्रदेश के उप मुखिया का कहना है कि सरकार इस मामले के तकनीकी पहलूओं को देखेगी.

सिद्धार्थ नाथ सिंह,  PC- INKhabar

विपक्ष हो रहा हमलावर
यहां हम आपको बताते चलें कि बहुजन समाज पार्टी के नेता सतीश चंद्र मिश्र के सवाल के जवाब में राज्यसभा के भीतर सदन के नेता व केंद्र में मंत्री थावरचंद गहलोत ने 17 अति पिछड़ी जातियों के अनुसूचित जाति में शामिल किए जाने को असंवैधानिक करार दिया है. साथ ही कहा कि इसका अधिकार राज्य सरकार के पास नहीं है. केंद्र सरकार के इसी जवाब को लेकर विपक्षी पार्टियां यूपी व केंद्र सरकार पर हमले बोलने लगी हैं. कांग्रेस ने कहा है कि योगी सरकार लोगों को धोखा दे रही है और 17 अति पिछड़ी जातियां अब कहीं की नहीं हैं. न तो यह ओबीसी में होंगी और न ही इन्हें अनुसूचित जाति में गिना जाएगा. बीजेपी ने इनके साथ सिर्फ खिलवाड़ किया है.

अंत में हम आपको बताते चलें कि भले ही विपक्षी पार्टियां योगी व केंद्र सरकार के बीच साम्य न होने की बात उछाल रही हों, लेकिन ऐसा लगता नहीं कि योगी सरकार को इस बात से कोई फर्क पड़ रहा हो. वह अब भी अदालत के फैसले का हवाला देकर इसे लागू करने की बात कह रही है.