केंद्र सरकार द्वारा लाए गया गुड्स एंड सर्विसेस एक्ट (यानी कि जीएसटी एक्ट) अभी भी बहस और विमर्श का विषय बना हुआ है, इतना ही नहीं जीएसटी के मसअले पर विरोधस्वरूप व पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के मद्देनजर ‘भारत बंद’ हेतु आह्वान भी किया जा रहा है. भारत बंद का यह हालिया आह्वान कन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) की ओर से किया गया है. कन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने 26 फरवरी यानी कि कल का दिन इसके लिए तय किया है. कैट के इस आह्वान का बिहार चैम्बर ऑफ कॉमर्स ने भी समर्थन किया है. ऐसा कहा जा रहा है कि इस दिन थोक और खुदरा बाजार बंद रहेंगे.
हिंदुस्तान अखबार के डिजिटल संस्करण पर छपी खबर के अनुसार बीसीसी अध्यक्ष पीके अग्रवाल ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि जीएसटी में हो रहे नए-नए संशोधनों व कठोर प्रावधानों में बदलाव पर सरकार फिर से विचार करे. उन्होंने आगे कहा कि अधिकतर व्यवसायी कम पढ़े-लिखे हैं. ऐसे में जीएसटी के कठोर प्रावधान के कारण वे व्यवसाय करने के बजाय इसके अनुपालन में ही दिन भर जुटे रहते हैं. जीएसटी समझने के लिए उन्हें टैक्स एडवोकेट रखना पड़ रहा है. उन्हें अतिरिक्त खर्च करना पड़ रहा है.
जीएसटी पोर्टल का भी एक दिन के लिए बहिष्कार-
वहीं इस सिलसिले में बिहार के (कैट) विभाग द्वारा यह कहा गया है कि भारत बंद के दिन सभी व्यापारी जीएसटी पोर्टल पर लॉगइन नहीं करेंगे. ज्ञात हो कि मासिक जीएसटी रिटर्न को बेहतर और सरल बनाने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से जीएसटी पोर्टल की शुरुआत की गई थी.
क्या है पूरा मामला?
गौरतलब है कि व्यापारियों को सरकार के द्वारा जीएसटी प्रणाली में किए नए बदलाव से परेशानी है. उन्हें इस बात से परेशानी है कि अब अधिकारी बिना किसी नोटिस या सुनवाई के व्यापारी का जीएसटी रजिस्ट्रेशन नंबर तक रद्द कर सकते हैं. इसके साथ ही उनका बैंक अकाउंट एवं संपत्ति को सरकार के तरफ से जब्त भी किया जा सकता है. इसलिए उन्होंने जीएसटी संशोधनों को वापस लेने के लिए इस भारत बंद का समर्थन दिया है.
किन संगठनों ने दिया समर्थन?
जीएसटी के कानूनों में संसोधन के लिहाज से इस भारत बंद को लगभग हर संगठन का समर्थन प्राप्त है. इनमें मोटर व स्कूटर पार्ट्स, बिजली उपकरण, इलेक्ट्रॉनिक्स, दवाइयां, कंप्यूटर, गारमेंट्स, लोहा व्यापार, ज्वेलरी, रबर प्लास्टिक, लकड़ी एवं प्लाईवुड, बिल्डिंग मैटेरियल, किराना व खाद्यान, मोबाइल, जनरल स्टोर, टेंट-पंडाल सहित अन्य संगठनों ने भी अपनी सहभागिता दर्ज कराने की बातें कही हैं.