चतुर्भुज स्थान: ”किससे उम्मीद लगाएं, साहब हम ? आप ही हमें बता दीजिये”

चतुर्भुज स्थान: ”किससे उम्मीद लगाएं, साहब हम ? आप ही हमें बता दीजिये”

दूर से ही ढोलकी, हारमोनियम और घुंघरुओं की आवाज कानों में पड़ने लगती है, घरों के बाहर महिलाएं और बच्चियां सज कर बैठी हुई हैं. इलाके से गुजर रहे लोगों की नजरों में हिकारत और हवस साथ दिखता है. पुलिसकर्मी अपनी ड्यूटी पर तैनात हैं. यह इलाका है मुज्जफरपुर का सबसे बड़ा और सबसे पुराना रेड लाइट एरिया, जिसे चतुर्भुज स्थान के नाम से जाना जाता है. घरों के बाहरयहाँ नृत्य सिखाया जाता हैके बोर्ड लगे हुए हैं. यह इलाका वेश्यावृति और मुजरा नर्तकियों के लिए जाना जाता है.  सुबह दस बजे से यहाँ मुजरा शुरू हो जाता है जो कि देर रात तक चलता है

पहले तो मोहल्ले के लोगों ने यह कहकर बात करने से मना कर दिया कि हर बार यहाँ मीडिया आता है, बताते कुछ हैं और दिखाया कुछ और ही जाता है. आगे बढ़े तो कुछ ने कहा कि अब कल आइएगा, अभी धंधे का वक्त है. बहुत गुजारिशों के बाद रेखा (बदला हुआ नाम) बात करने के लिए राजी हुई.  घर के बाहर कुर्सी बिछाई और चाय मंगवाई.  देखते ही देखते रिंकी (बदला हुआ नाम), रिया (बदला हुआ नाम) और उनका पति भी बात करने लगे.

जब से होश संभाला है तब से रेखा इसी इलाके में रहती हैं. माँ की उम्र हो जाने बाद रेखा को भी इस पुश्तैनी दलदल में कदम रखना पड़ा.  हालाँकि बाद में जब रेखा की शादी हुई तब उन्होंने इस दलदल को छोड़ दिया. रेखा ने बताया,  ‘‘हमारी यहाँ कोई इज़्ज़त नहीं करता. कोई अच्छा काम करने जाएँ तो भी ये समाज हिकारत कि नज़रों से देखता है.  इस समाज ने हमें कभी जीने नहीं दिया. इतना कहते ही रेखा का गला भारी हो गया और मुँह रुआंसा.  इसी बीच रिंकी बोल पड़ी कि बेटा, इस दलदल को छोड़े हमें 30 साल हो गए हैं. उम्रदराज़ ज़रूर हैं लेकिन आज भी अगर हम घुंघरू बाँध कर नाच लें तो अच्छेअच्छों के पसीने छूट जायेंगे.

उन्होंने कहा, ‘‘ पहले के जमाने में हमें इज़्ज़त दी जाती थी, तवायफ जी कह कर बुलाया जाता था लेकिन अब लोग अपशब्द कह कर बुलाते हैं.  बुरा ज़रूर लगता है पर अब क्या करें ? हमने अपनी ज़िन्दगी को तो इस दलदल में धकेल दिया था लेकिन अपनी बच्चियों को इससे दूर रखा.  रिंकी की दो बेटियां हैं और दोनों शादीशुदा हैं. बड़े फख्र से बताते हुए रिंकी ने बोला कि हमारी दोनों बेटियां बहुत सुंदर हैं.  हमने उन्हें अच्छे स्कूल में दाखिला दिलवाया फिर अच्छे कॉलेज में पढ़ाया और उनकी शादी की.  हमने अपनी बच्चियों को बिलकुल अलग माहौल दिया.  इस दलदल का साया तक उनपर नहीं पड़ने दिया.

कोरोना काल में रोजी रोटी पर संकट

जहाँ पूरा विश्व इस समय कोरोना महामारी से जूझ रहा है, वहीं इस इलाके में कोरोना ने इनकी रोज़ी रोटी पर संकट खड़ा कर दिया है.  रिया बड़े ही गुस्से से बोलीं, ‘‘ सरकार ने इस कोरोना काल में इस इलाके में कुछ नहीं किया. भूखे मरने के  लिए हमें छोड़ दिया. लोगों के अकाउंट में एक हजार रुपये भी आए,  हमारे में वो भी नहीं और न ही कोई राहत सामग्री. हम इंसान नहीं हैं क्या ? ’’

6 साल पहले हुआ था HIV AIDS का टेस्ट

 जब स्वास्थ्य सम्बन्धी मुद्दे पर बात हो रही थी तब रेखा ने बताया, ‘‘ हमारी तरफ किसी का भी ध्यान नहीं जाता. आप इसी बात से अंदाज़ा लगा सकते हैं कि मोहल्ले में ही सरकारी डिस्पेंसरी है लेकिन एचआईवी का टेस्ट हुए लगभग 6 साल हो गए हैं.  वोट मांगने सब आएंगे, तब झोली फैलाकर, हाथ जोड़कर वोट मांगेंगे लेकिन चुनावों के बाद इस इलाके का रास्ता भूल जाते हैं. हालाँकि उन्हें तेजस्वी यादव की अगुवाई बतौर युवा नेता अच्छी लगती है.’’

 वहीं रिया के पति रौशन (बदला हुआ नाम) ने कहा, ‘‘किससे उम्मीद लगाएं, साहब हम ? आप ही हमें बता दीजिये। नीतीश  कुमार ने कुछ काम नहीं किया. बच्ची होने पर सरकार की तरफ से अकाउंट में दस हजार रूपए आते हैं लेकिन अब बच्ची भी 8 महीने की हो गयी है लेकिन पैसे अभी तक नहीं मिले हैं’’

इलाके में बढ़ रहे क्राइम से फैल रही है दहशत

रिया ने बताया, ‘‘अब इस इलाके में क्राइम काफी बढ़ गया है. अच्छेअच्छे घरों के लड़के स्मैक का नशा कर इलाके में आएंगे , गंदी-गंदी गालियां निकालेंगे और हमसे छेड़छाड़ करेंगे. चैन स्नैचिंग कि घटनाएं इस इलाके में आम हो गयी हैं.  स्मैक इस इलाके की जड़ों में रम गयी है. बहुत घर बर्बाद कर दिए हैं इस स्मैक के नशे ने.पुलिस अगर इलाके में रेड मारती है तो तवायफों के साथ साथ उनकी बहनो भाभियों को भी उठाकर ले जाती है और पूरे परिवार को तंग करती है. ’’