खराब मौसम और कोरोना वायरस लॉकडाउन की दोहरी मार झेल रहे हैं किसान…खेती-बाड़ी

खराब मौसम और कोरोना वायरस लॉकडाउन की दोहरी मार झेल रहे हैं किसान…

हम एक ऐसे देश में रहते हैं जहाँ अगर कुछ प्रधान है तो वह है कृषि। कृषि पर दुनिया की…

बिहार में क्वारंटीन केंद्र के हाल पर रोयें या फिर नेतृत्व के हाल पर, सब कुछ हवा में है…देश

बिहार में क्वारंटीन केंद्र के हाल पर रोयें या फिर नेतृत्व के हाल पर, सब कुछ हवा में है…

पूरे देश में पिछले महीने लगे लॉक डाउन को 14 अप्रैल को 21 दिन पूरे हो गए और फिर इसी…

कोरोना वायरस: दिन कुछ ऐसे गुजारता है कोईदेश

कोरोना वायरस: दिन कुछ ऐसे गुजारता है कोई

बालकनी पर केहुनी टिकाकर खड़े होना और नीम की पीली पड़ी पत्तियों को गिरता देखना, दिन कुछ ऐसे गुजरता है.…

लॉकडाउन डायरी, डे -1: मैं एक अबोध धरती की कल्पना नहीं कर पाती…खबरें

लॉकडाउन डायरी, डे -1: मैं एक अबोध धरती की कल्पना नहीं कर पाती…

लॉकाडाउन एक बार फिर अगले 21 दिनों के लिए बढ़ा दिया गया है. कहा जाता है कि एक आदत बनने…

मुंबई: दूसरे लॉकडाउन की घोषणा के साथ ही घर जाने के लिए बांद्रा स्टेशन पर इकट्ठा हुए मजदूर, पुलिस का लाठी चार्जखबरें

मुंबई: दूसरे लॉकडाउन की घोषणा के साथ ही घर जाने के लिए बांद्रा स्टेशन पर इकट्ठा हुए मजदूर, पुलिस का लाठी चार्ज

आज सुबह ही पीएम मोदी ने दूसरी बार लॉकडाउन की अवधि को तीन मई तक बढ़ाने का ऐलान किया है.…

लॉकडाउन डायरी: छूटती दुनिया के पास होने का सुख मौत के दुख पर बहुत भारी पड़ता है…खबरें

लॉकडाउन डायरी: छूटती दुनिया के पास होने का सुख मौत के दुख पर बहुत भारी पड़ता है…

देर से छत पर बैठा आसमान देख रहा हूँ। ऐसा भरा हुआ आसमान और ऐसी शांति, एकबारगी तो छलावा होने…

लॉकडाउन डायरी, डे -2: क्वैरंटीन, लेखन और एकांत…खबरें

लॉकडाउन डायरी, डे -2: क्वैरंटीन, लेखन और एकांत…

सिद्धार्थ ने वाक़ई क्वैरंटीन के 21 दिनों में किताब लिख दी है. किताब का कवर मुझे बेहद पसंद आया, उसके…

कि मैं यहां नोएडा के हॉटस्पॉट में फंसा हूं और बिहार के हॉटस्पॉट की याद आ रही है…खबरें

कि मैं यहां नोएडा के हॉटस्पॉट में फंसा हूं और बिहार के हॉटस्पॉट की याद आ रही है…

24 मार्च और दिनों की तरह सामान्य नहीं था. वैसे तो ‘कोरोना काल’ में कोई भी दिन सामान्य नहीं, लेकिन…

कोरोना डायरी: मुझे डर लगने लगा है कि ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ कहीं ग्राम्य बोध को न खत्म कर दे…खबरें

कोरोना डायरी: मुझे डर लगने लगा है कि ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ कहीं ग्राम्य बोध को न खत्म कर दे…

अपने ज़ाती काम से आकर मैं अब भी अपने गांव में ही हूं. मौका पाकर फिर से गांव घूमने लगा…

लॉकडाउन जर्नल, डे -3: यह वर्ल्ड ऑर्डर की नई संभावनाएं नहीं, अपने भीतर की संवेदना तलाशने का समय है…खबरें

लॉकडाउन जर्नल, डे -3: यह वर्ल्ड ऑर्डर की नई संभावनाएं नहीं, अपने भीतर की संवेदना तलाशने का समय है…

उत्तर प्रदेश में पदयात्रा के समय ली गई तस्वीर आज एक अरसे बाद मैंने बाहर की दुनिया की तरफ देखा.…