देश में नए कृषि कानूनों को लेकर दिल्ली बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन और उच्चतम न्यायालय द्वारा इन कृषि कानूनों के लागू होने पर रोक लगाने और समिति गठित करने के फैसले के बीच अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) का एक बयान आया है. आईएमएफ ने कहा कि तीनों कानून भारत में कृषि सुधारों को आगे बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हो सकते हैं.
हालांकि आईएमएफ का यह भी कहना है कि इस व्यवस्था को लागू करने की प्रकिया के दौरान प्रभावित होने वाले लोगों को सामाजिक सुरक्षा भी मुहैया कराना जरूरी है.
आईएमएफ के संचार निदेशक गेरी राइस ने कहा कि ये नए कदम बुचौलियों की भूमिका कम करेंगे और दक्षता बढ़ाएंगे. वाशिंगटन में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान उन्होंने कहा कि तीनों कृषि कानूनों में कृषि सुधारों को आगे बढ़ाने की क्षमता है और ये कानून किसानों को खरीदारों से सीधे तौर पर संपर्क स्थापित करने का मौका देंगे और बिचौलियों की भूमिका कम होगी.
हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि निश्चित रूप से इन सुधारों का लाभ इसके लागू करने पर निर्भर है. इस प्रक्रिया को लागू करने के दौरान लोगों के रोजगार प्रभावित होंगे, इसलिए इन मुद्दों पर भी ध्यान दिए जाने की जरूरत है.
कृषि कानूनों को लेकर उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित समिति के बाद भी सरकार और किसान संगठनों के बीच गतिरोध खत्म नहीं हुआ है. समिति बारे में किसान संगठन और विपक्षी पार्टियां यह कह रही हैं कि इसके सदस्य पहले तीनों कानूनों की पैरवी कर चुके हैं और ऐसे में उन्हें समिति पर विश्वास नहीं है. वहीं बृहस्पतिवार को भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष भूपिन्दर सिंह मान ने इस समिति से खुद को अलग कर लिया .
दिल्ली बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसान कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून, 2020, कृषक उत्पाद व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) कानून, 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि इन कानूनों में एमएसपी की गारंटी नहीं है और इससे सिर्फ बड़े औद्योगिक घरानों का फायदा होगा.