इन दिनों बिहार में मैट्रिक की परीक्षाएं हो रही हैं. इन परीक्षाओं को बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (बीएसइबी) द्वारा आयोजित किया जाता है. बीते रोज (24-2-2021) को बिहार बोर्ड की 10वीं की परीक्षा का आखिरी दिन था. ऑप्शनल विषय की परीक्षा थी. इसलिए सेंटर पर छात्र-छात्राओं की उपस्थिति भी और दिनों की अपेक्षा कुछ कम ही दिखी, लेकिन छात्रों और उनके अभिभावकों से बिहार बोर्ड के द्वारा आयोजित परीक्षाओं में होने वाली धांधली पर मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली.
अगर आप बिहार से ताल्लुक रखते हैं तो बिहार बोर्ड द्वारा आयोजित परीक्षाओं में होने वाली धांधली से अच्छी तरह से वाकिफ होंगे. असली उम्र छुपाकर परीक्षा देने वाले फर्जी टॉपर गणेश हो या फिर पॉलिटिकल साइंस को प्रॉडिगल साइंस कहने वाली रूबी राय हो. इन सब को देखने जानने के बाद हमारे मन में ये सवाल जरूर आता है कि आखिर ये तमाम गड़बड़ियां बिहार बोर्ड की परीक्षाओं में ही क्यों अधिक देखने को मिलती हैं?
ज्ञात हो कि बिहार बोर्ड की परीक्षा 17 फरवरी से शुरू हुई थी. मैट्रिक यानी 10वीं की परीक्षा में इस साल 16 लाख 84 हजार 446 छात्र हिस्सा ले रहे हैं. पूरे राज्य में 1,525 परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं. परीक्षा केंद्रों के नजदीक सुरक्षा की दृष्टि से 144 धारा लगाई गई. बीते रोज भले ही बोर्ड परीक्षा का अंतिम दिन था. लेकिन तमाम पुख्ता इंतजामों के दावों के बाद भी लगभग हर बार परीक्षा केंद्रों के इर्द-गिर्द और भीतर असामाजिक तत्वों के सक्रिय होने की खबर सुर्खियों में रहीं.
सरकार चाहे कितनी भी कोशिश कर ले पेपर लीक, परिणाम में गड़बड़ी, फर्जी परीक्षार्थियों की संख्या में वृद्धि से न केवल छात्र- छात्राओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ होता है बल्कि बिहार की छवि भी खराब होती है.
इस बार भी पेपर लीक का मामला सामने आया. पहली पाली के सामाजिक विज्ञान की परीक्षा का प्रश्न-पत्र लीक होने के कारण छात्रों के बीच हड़कंप मच गया. बिहार बोर्ड के तरफ से अब इस परीक्षा को 8 मार्च को एक बार फिर से आयोजित की जाएगी.इस शिफ्ट में 8, 46, 504 परीक्षार्थी शामिल होने वाले थे. अब इन छात्राओं को दोबारा से परीक्षा की तैयारी करनी होगी. इस बात से कई छात्र खिन्न हैं.
अमन केशरी उन छात्रों में से हैं जिन्हें पहली पाली में परीक्षा देनी थी, लेकिन पेपर लीक होने के बाद अब उन्हें एक बार फिर परीक्षा देनी होगी. उन्होंने हमसे बातचीत में कहा,”लीक तो कानून व्यवस्था के कारण होता है और सामाजिक विज्ञान के अलावा भी कई विषय के पेपर लीक हुए हैं, लेकिन इसमें हम छात्रों की क्या गलती. बिहार बोर्ड के छात्रों के पास तो स्मार्ट फोन और व्हाट्सएप की सुविधा भी कम ही होती है.” यहां आपको बताते चलें कि सामाजिक विज्ञान का पेपर व्हाट्सएप के जरिए लीक हुआ था.
स्वाति ने इस वर्ष बिहार बोर्ड से इंटर की परीक्षा दी है. उन्होंने कहा कि उनकी परीक्षा अच्छे ढंग से सपन्न हुई. उनके केंद्र पर पुलिस बल की तैनाती थी और किसी तरह की कोई असामाजिक गतिविधि नहीं हुई. हालांकि उनके पिता राजीव चौधरी से जब हमने बात की तो उन्होंने कहा, “पहले हमें डर तो बहुत लग रहा था कि कहीं कोई पेपर लीक होने के वजह से परीक्षा कैंसिल न हो जाए, लेकिन जब परीक्षाएं बढ़िया से सम्पन्न हो गईं तो हम थोड़ा निश्चिन्त हुए. अब बस परीक्षा के परिणाम में कोई फर्जीवाड़ा न हो.”
उन्होंने आगे कहा कि बीते 3-4 वर्षों से लगातार बिहार बोर्ड के परिणाम में फर्जीवाड़ा हो ही जाता है इसलिए अभिभावक होने के नाते हमारी चिंता तो बनी रहती है. अपनी आर्थिक स्थिति के बारे में बताते हुआ कहा कि थोड़े से खेत से किसी तरह परिवार पल रहा है. ऐसे में बच्चों को प्राइवेट स्कूल से पढ़ाना मुमकिन नहीं है. इसलिए हमलोग अपनी बच्चियों को सरकारी स्कूल से ही पढ़ा रहे हैं. राजीव दो बेटी और एक बेटे के पिता हैं.
अंत में हम आपको यह बताते चलें कि बिहार में विधानसभा के चलते सत्र के दौरान पेपर लीक का मामला सदन में भी उठा. नेता प्रतिपक्ष ने जहां इस पेपर लीक को लेकर सरकार को घेरने की कोशिश की, वहीं मुख्यमंत्री ने भी इस मामले को लेकर फौरन जांच के आदेश दिए हैं. बाद बाकी इन तमाम परिस्थितियों को भुगतना और उनसे निपटना तो आम जनता को ही है- जनता क्या करे?