मुख्य चुनाव आयुक्त ओ पी रावत ने लोकसभा और कई राज्यों के विधानसभा चुनाव को अगले साल एक साथ कराने की संभावनाओं को खारिज कर दिया है. विदित हो कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) लंबे समय से विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ कराने की पैरवी करती आई है और इसके लिए कई बार वन नेशन–वन इलेक्शन (एक देश– एक चुनाव) का नारा भी दिया जा चुका है.
औरंगाबाद में जब एक संक्षिप्त पत्रकार वार्ता में चुनाव आयुक्त से दोनों चुनाव साथ आयोजित करने पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इस तरह से चुनाव आयोजित करने के लिए कानूनी ढांचे की जरूरत होती है.
दरअसल मध्य प्रदेश, मिजोरम, छत्तीसगढ़ में इस साल अंत तक विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसी संभावनाएं जाहिर की जा रही थीं कि इन चुनाव को थोड़ा आगे बढ़ाकर इसे लोकसभा चुनाव के साथ ही आयोजित किया जाएगा.
चुनाव आयुक्त ने स्पष्ट करेत हुए कहा, ‘‘ इस तरह से चुनाव आयोजित करने का कोई चांस ही नहीं है.’’
आपको बता दें कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने अभी कुछ दिन पहले ही मांग की थी कि एक साथ चुनाव आयोजित करने पर सभी पक्षों के साथ खुली और अच्छी बहस होनी चाहिए.
रावत का कहना है कि लोक सभा चुनाव आयोजित करने से 14 महीने पहले चुनाव आयोग इसकी तैयारी शुरू कर देता है.
वहीं वोटिंग मशीन की कथित विफलता के संबंध में पूछे गए सवाल पर रावत ने कहा कि सिर्फ 0.5 और 0.6 फीसदी दर इसके विफल होने की है और मशीन के इस दर से विफल रहना कोई बड़ी बात नहीं है.