मधेपुरा: ऊंट किस करवट बैठेगा कहना मुश्किल, त्रिकोणीय मुकाबले की प्रबल संभावना…

मधेपुरा: ऊंट किस करवट बैठेगा कहना मुश्किल, त्रिकोणीय मुकाबले की प्रबल संभावना…

मधेपुरा (लोकसभा) राजनीतिक महत्व के लिहाज एक ऐसी धरती रही है जिसने हमेशा राष्ट्रीय राजनीति में अपनी धमाकेदार उपस्थिति दर्ज कराई है। मूल रूप से समाजवादी पृष्ठभूमि के नेताओं के लिए यह क्षेत्र उर्वर रहा है। मंडल मसीहा बी० पी० मंडल से लेकर चौधरी राजेन्द्र प्रसाद यादव, शरद यादव, लालू प्रसाद यादव, राजेश रंजन ‘पप्पू यादव’ ने बारीबारी से यहां का प्रतिनिधित्व किया है। भौगोलिक दृष्टिकोण से यह कोशी का इलाका कहलाता है।

मधेपुरा लोक सभा में मधेपुरा तथा सहरसा जिला आता है। पुराने परिसीमन के अंतर्गत इस क्षेत्र में सोनवर्षा, मधेपुरा, सिंघेश्वर, कुमारखंड, आलमनगर और उदाकिशुनगंज विधानसभा आता था। किंतु 2008 में गठित नए परिसीमन के तहत सोनवर्षा, आलमनगर, बिहारीगंज, मधेपुरा, सहरसा और महिषी विधानसभा आता है। 1952 के प्रथम लोकसभा में मधेपुरा का इलाका दरभंगा लोकसभा में आता था। जहाँ से पहली बार निर्वाचित होकर दिग्गज कांग्रेसी नेता ललित नारायण मिश्रा लोकसभा पहुंचे थे, लेकिन 1967 के लोकसभा चुनाव से मधेपुरा स्वतंत्र रूप से अस्तित्व में आया।

यहाँ से पहली बार लोकसभा में नुमाइंदगी करने का गौरव दिग्गज समाजवादी नेता बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और अति पिछड़ी जातियों के सामाजिक एवं शैक्षणिक स्थिति में सुधार की अनुशंसा के लिए गठित “मंडल आयोग” के अध्यक्ष रहे बिन्देश्वरी प्रसाद मंडल को हासिल है। वो संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर यहां से चुनाव जीते थे।

सामाजिक समीकरण के दृष्टिकोण से देखा जाए तो मधेपुरा के बारे में एक कहावत प्रसिद्ध है “रोम है पोप का मधेपुरा है गोप का”। अबतक मधेपुरा लोकसभा से जितने भी सांसद हुए वे यादव समुदाय के ही हुए हैं। किन्तु इसके अतिरिक्त भी अन्य समुदायों में मुसलमान, राजपूत, ब्राह्मण, कुर्मी कुशवाहा भी प्रमुख फैक्टर के रूप में काम करता है।

वोटर के लिहाज से मधेपुरा लोकसभा में कुल वोटरों की संख्या लगभग 17 लाख पचीस हजार है। जिसमें सबसे ज्यादा अनुमानित रूप से 3 लाख 50 हजार के आसपास यादव मतदाता हैं। उसके बाद दूसरे नंबर पर मुसलमान मतदाता आते हैं। जिसकी संख्या लगभग दो सवा दो लाख है। तीसरा सबसे बड़ा संख्याबल राजपूत मतदाताओं का है जो एक लाख पचहत्तर हजार से दो लाख के बीच हैं। ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या भी महत्वपूर्ण रोल अदा करती है। इनकी संख्या एक लाख साठ हजार के आसपास है। पासवान वोटर 75 हजार हैं। इसके अतिरिक्त कुर्मी और कुशवाहा का भी मिलाकर एक लाख वोट है। ओबीसी की अन्य जातियों का वोट चार लाख है।

मधेपुरा में सड़क किनारे लगा एक साइनबोर्ड (तस्वीर क्रेडिट- राजीव)

पिछले लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल के राजेश रंजन उर्फ़ पप्पू यादव ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी जनता दल यूनाइटेड के शरद यादव को पचास हजार मतों के अंतर से पराजित किया था। तीसरे नंबर पर भाजपा के विजय सिंह कुशवाहा रहे थे, लेकिन 2019 की स्थिति बिल्कुल अलग है। इस बार की राजनीति की बिसात कुछ अलग ही बिछने के आसार हैं। वर्तमान सांसद पप्पू यादव ने जहाँ अपने दल राजद से बगावत कर खुद की पार्टी जन अधिकार पार्टी (लोकतांत्रिक) बना ली है। वहीं दूसरी तरफ शरद यादव भी नीतीश कुमार और जनता दल यूनाइटेड से बगावत कर नई पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल बनाकर क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं। ऐसी बातें हैं कि महागठबंधन (यूपीए) कोटे से यह सीट शरद यादव की पार्टी को जाएगी। शरद यादव खुद या अपने बेटे शांतनु बुंदेला को यहाँ से चुनाव लड़वा सकते हैं। वही अंदरखाने से शरद यादव और लालू यादव के बीच सबकुछ ठीक न होने की खबरें भी आ रही हैं। ऐसी स्थिति में राजद से मधेपुरा के विधायक प्रो० चंद्रशेखर या लालू यादव के परिवार के किसी सदस्य के चुनाव लड़ने की संभावना बनती है।

वही एनडीए के तरफ से यदि सीट जदयू को जाती है तो सबसे बड़े दावेदार आलमनगर के जदयू विधायक, पूर्व पंचायतीराज मंत्री और कोशी क्षेत्र में संत नेता के रूप में जाने जानेवाले नरेंद्र नारायण यादव हैं। सियासत के जानकारों के मुताबिक नरेंद्र नारायण यादव जदयू के लिए तुरुप का इक्का साबित होंगे। नरेंद्र नारायण यादव ग्रास रुट की राजनीति के लिए जाने जाते हैं। यही कारण है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी की प्रचंड जीत के बाद जब नीतीश कुमार ने नैतिकता के हवाले से इस्तीफा देने का मन बनाया तो जीतन राम माँझी के साथ साथ नरेंद्र नारायण यादव भी मुख्यमंत्री पद की रेस में अग्रणी थे।

नरेन्द्र नारायण यादव उर्फ संत साहेब (तस्वीर क्रेडिट- मधेपुरा टाइम्स)

दूसरी ओर यदि सीटों के तालमेल में इस सीट से भाजपा खुद लड़ती है तो पूर्व मंत्री और भाजपा के 2015 विधानसभा चुनाव में बिहारीगंज विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी रहे रवीन्द्र चरण यादव की उम्मीदवारी की बातें सुनी जा रही हैं। रवीन्द्र चरण यादव 2009 के लोकसभा चुनाव में आरजेडी प्रत्याशी के रूप में शरद यादव से पराजित होकर दूसरे स्थान पर थे। लेकिन पूर्व गृह सचिव और मोदी सरकार में मंत्री आरा के सांसद आर० के० सिंह के भी मधेपुरा से चुनाव लड़ने की बातें सुनी जा रही हैं। ब्यूरोक्रेट के रूप में आर० के० सिंह की छवि इस क्षेत्र में लोगों को आज भी याद है। साथ ही इसे ब्राह्मण और राजपूत मतदाता को साधने की कोशिश के तौर पर देखा जा सकता है। आर० के० सिंह मूल रूप से कोशी इलाके के ही सुपौल जिले के रहने वाले हैं।

भाजपा से टिकट पाने के जुगत में बंगलौर में उद्योगपति और मधेपुरा निवासी साकार यादव भी बताए जा रहे हैं।

2019 का लोकसभा चुनाव सर पर है। वर्तमान सांसद के कामकाज और भविष्य के जीत हार की संभावनाओं पर मैंने मधेपुरा लोकसभा के विभिन्न जगहों के मतदाताओं की नब्ज को टटोलने के प्रयास किए।

इसी क्रम में मैं मधेपुरा कलेक्ट्रीएट के बगल में बी० पी० मंडल चौक पहुंचा। यहां तिराहे के बीचो बीच बी० पी० मंडल की आदमकद मूर्ति है जो शीशे में कैद है। इसका उद्घाटन राबड़ी देवी ने बतौर मुख्यमंत्री किया था। यहीं पर मेरी बातचीत मो० जुबैर से हुई। जुबैर कहते हैं “जबसे मोदी सरकार आई है हम लोगों को शक के नजर से देखा जाता है। पिछले साल मुरलीगंज के पास जेबीसी नहर में कहीं से बहकर मरा हुआ जानवर नहर के फाटक में फंस गया था। पूरे इलाके में तनाव का माहौल बन गया था। हम लोगों के जान पर तो आफत आ गई थी। वो तो भला कहिए यहाँ के कलक्टर का कि उन्होंने सूझबूझ से काम लिया और मामला निपट गया। पिछले सरकार में हमलोग भूखे रहते थे लेकिन चैन था।”

इसी बीच मैंने वहीं खड़े सुरेंद्र यादव से पूछा आपलोग 2019 में किसको वोट देने जा रहे हैं तो उन्होंने कहा कि हम लोग लालू को वोट देंगे। नरेंद्र मोदी जिस तरह से लालू जी को कमजोर कर रहे हैं हमलोगों को लालू को मजबूत करना ही होगा। लालू जी के बोलने पर भी पाबन्दी लगा दिया है। बीमारी में भी ऊपर से प्रेशर डालकर बढ़िया हॉस्पिटल में इलाज कराने नहीं दिया जाता है। ऐसा तो है नहीं कि बीजेपी में भ्रष्टाचारी नहीं हैं। शासन में रहता है तो किससे थोड़ा बहुत इधर उधर नहीं होता है। यह सवाल पूछने पर कि पप्पू यादव भी तो यहाँ से चुनाव लड़ेंगे आपलोग उनको वोट क्यों नहीं देंगे। इस पर वे बोले कि पप्पू यादव ने किया ही क्या है? खाली लालू जी के कन्धा पर से बन्दूक छोड़ा है। लालू यादव ने मधेपुरा को यूनिवर्सिटी दिया, ट्रेन का कारखाना लालू के रेल मंत्री रहते पास किया हुआ था। अब उससे इंजन बनकर निकल रहा है। उसका भी क्रेडिट पप्पू यादव लेना चाहते हैं। लालू जी अपना जीता हुआ सीट 2004 में पप्पू यादव के लिए छोड़ दिए और उनको यहाँ से एमपी बनाए सो बात वह भूल गए। 2014 में भी पप्पू जी के साथ लालू यादव नहीं होते तो शरद यादव जीत गए होते। आज मधेपुरा में जिधर जाइये सड़क ख़राब मिलेगा बिहारीगंज से बनमनखी रेल लाइन बंद है और पप्पू यादव पूरे बिहार घूमते फिर रहे हैं।

बातचीत के बीच में ही जनार्दन पासवान कहते हैं कि यहाँ सब लालूए है। आखिर हम छोटका आर को आवाज तो लालू का ही दिया हुआ है नहीं तो उससे पहले बड़का सब हमलोगों को चलने कहाँ देता था?

इसके बाद हम सिंघेश्वर के बगल एक गाँव सुन्दर पट्टी पहुँचते हैं। यहां सूरज कुमार नामक एक युवा से बातचीत होती है। सूरज कहते हैं कि पप्पू यादव का युवाओं के बीच बहुत क्रेज है। वह किसी का भी छोटा से छोटा काम होता है पहुँच जाते हैं। वहीं पर मैंने झकसू यादव से पूछा मोदी सरकार के बारे में आपकी क्या राय है इस पर वह कहते हैं चार साल में कुछ भी नहीं हुआ है। महँगाई बढ़ते जा रही है खाद और बीज सब का दाम भी कम नहीं हुआ। चारों तरफ से किसाने मर रहा है इस सरकार ने लोगों को केवल बुड़बक बनाया है। पेट्रोल भी नब्बे रुपया हो गया है। ऊपर से यह कौन सा एस० सी०, एस० टी० कानून लाया है, कुछ दिन पहले बच्चा सब परब में रोड साफ करने गया था। कोई बात को लेकर कहा सुनी हुआ और सब पर केस लदल है। पटना में पढ़ने वाला लड़का सब तबाह है। पहले तो हमलोग यह सब गांव घर में मिल बैठकर सुलझा लेते थे। अब तो मामला थाना से केस मुकिदमा तक पहुँच जाता है।

सहरसा बाजार में हमारी बातचीत सुधीर झा से होती है। बोलते बोलते वह कहते हैं मोदी जी का फिर से जीतना जरुरी है। सत्तर साल में जो घोटाला हुआ है इस टर्म में तो नरेंद्र मोदी को उसको भरने में ही लग जाएगा। अगला बार फिर से वह प्रधानमंत्री बनेंगे तो विकास करेंगे। मधेपुरा से कोई जीते हारे हमलोगों का वोट बीजेपी को ही जाता रहा है। सहरसा में ही मेरी मुलाकत प्रभात यादव से होती है । उनके मुताबिक लालू यादव को शरद यादव के लिए मधेपुरा सीट छोड़ देना चाहिए क्योंकि शरद यादव राष्ट्रीय नेता हैं। उनका राष्ट्रीय राजनीति में बने रहने के लिए मधेपुरा से जीतना जरुरी है। प्रभात यादव से जब पूछा गया कि वर्तमान सांसद पप्पू यादव को आप लोग ख़ारिज क्यों कर रहे हैं तो वह कहते हैं कि पप्पू यादव पूरा बिहार का टूर लगा रहे हैं। पत्रकार जी आप सहरसा मधेपुरा का सड़क देख रहे हैं क्या स्थिति है रोड की? जो आदमी अपना घर ही नहीं ठीक कर पा रहे हैं वह बिहार क्या ठीक करेंगे। बिहार का भविष्य तेजस्वी यादव में ही दिख रहा है।

ग्वालपाड़ा बिहारीगंज की मुख्य सड़क की हालत (तस्वीर क्रेडिट- राजीव)

अब हम पहुँचते हैं खगड़िया और भागलपुर जिला की सीमा के नजदीक और मधेपुरा जिला हेडक्वार्टर से पचास किलोमीटर दूर आलमनगर। यहां राजकिशोर सिंह से बातचीत होती है। वे कहते हैं, देखिये मुक़ाबला तो दिलचस्प होगा इसबार। पप्पू जी को भी कम मत आंकिये वह भी पूरा दम लगाएंगे, लेकिन नरेंद्र यादव को भी एक बार मौका मिलना चाहिए। वह भी सांसद बनने की योग्यता रखते हैं। यह पूछने पर कि आप लोग किनको वोट देते रहे हैं तो इसपर वह कहते हैं हमलोगों का वोट लालू यादव को भी जाता रहा है शरद यादव को भी। जिसबार जो लगता है जिताऊ कैंडिडेट है उसको वोट देते हैं । पिछले बार विधानसभा में चन्दन सिंह को और लोकसभा में लालू जी के कारण पप्पू यादव को वोट दिए थे। नया लड़का सब कुछ वोट गड़बड़ा कर विजय कुशवाहा में चला गया था ।

कुल मिलाकर देखें तो मधेपुरा में 2019 के आम चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबले की सम्भावना दिखती है। जिसमें एक तरफ पप्पू यादव तो दूसरी तरफ महागठबंधन (यूपीए) और तीसरी तरफ एनडीए भी मजबूत दावेदारी के लिए तैयार है। 2019 के रण के लिए सियासी बिसात अभी से बिछने लगी है। नेता भी क्षेत्र में गतिविधियां बढ़ाने लगे हैं। कार्यकर्ताओं और मतदाताओं में भी सुगबुगाहट तेज है। अब यह तो वक्त ही तय करेगा जीत का सेहरा किसके सिर सजता है।

रिपोर्ट अच्छी लगी हो तो साझा कर सकते हैं. यह रिपोर्ट हमें राजीव ने लिखकर भेजी है…