लॉकाडाउन एक बार फिर अगले 21 दिनों के लिए बढ़ा दिया गया है. कहा जाता है कि एक आदत बनने…
देर से छत पर बैठा आसमान देख रहा हूँ। ऐसा भरा हुआ आसमान और ऐसी शांति, एकबारगी तो छलावा होने…
सिद्धार्थ ने वाक़ई क्वैरंटीन के 21 दिनों में किताब लिख दी है. किताब का कवर मुझे बेहद पसंद आया, उसके…
24 मार्च और दिनों की तरह सामान्य नहीं था. वैसे तो ‘कोरोना काल’ में कोई भी दिन सामान्य नहीं, लेकिन…
उत्तर प्रदेश में पदयात्रा के समय ली गई तस्वीर आज एक अरसे बाद मैंने बाहर की दुनिया की तरफ देखा.…
आज का दिन कल जैसा नहीं था. आज धूप में गर्मी थी. काम खत्म करने के बाद मैं घर के…
देर रात हुई है. दिन गुज़रने का पता अब चलता नहीं. कमरे में बत्ती नहीं जलाई है. बस कंप्यूटर स्क्रीन…
नमस्ते, चलिए वहीं से शुरू करते हैं जहां छोड़ा था. पहला भाग अगर नहीं पढ़ा हो तो यहाँ पढ़िए. बात…
दर्द एक दरिया है. इस दरिया में एक बहुत गहरी जगह आती है. इतनी गहरी कि उसे पार करने के…
कल शाम का जर्नल लिखने के बाद से ही जिस शब्द ने मेरे मन पर आधिपत्य जमाया हुआ है, वह…