World Photography Day विवियन मैएर : हमें दूसरों के लिए जगह बनानी ही होगी

World Photography Day विवियन मैएर : हमें दूसरों के लिए जगह बनानी ही होगी

हमें दूसरों के लिए जगह बनानी ही होगी। यह एक चक्र है— आप चलते हैं और मंजिल तक पहुँचते हैं। किसी दूसरे व्यक्ति के पास भी उसी मंजिल तक पहुँचने के अवसर होते हैं। बाद में कोई और भी उसी जगह पर पहुँचता है। धरती पर कुछ भी नया नहीं है।’
जीवन और मृत्यु के बारे में उनका यह दर्शन उनकी एक रिकॉर्डिंग में दर्ज़ था। एक फोटोग्राफर जो अपने जीवनकाल में अज्ञात रहीं और जब उनका रचा हुआ सामने आया तो कला की दुनिया विस्मित हो गई।

मैं इस फोटोग्राफर को कबसे जानता हूँ और कबसे इस पर लिख रहा हूँ। पाँच साल होने को आए हैं और ना तो अभी तक जान पाया हूँ ना ही इस पर लिख पाया हूँ। किसी एक दिन मैंने लिखना शुरू किया और लिखता गया। खूब सारा लिखा और मन से लिखा। लिखना खत्म करने से ठीक पहले ही कम्प्यूटर बंद हो गया और सारा लिखा हुआ खो गया। उस वक्त मेरी स्मृतियाँ कुंद पड़ गईं। मैं फिर नहीं लिख पाया। उस दिन उस लिखे हुए के खो जाने का मर्सिया लिखा और वह लिखा आज अचानक से तीन साल बाद सामने आ गया। मैं फिर से अपनी पसंदीदा फोटोग्राफर पर लिखने बैठ गया हूँ और सोचता हूँ कि आज पक्का लिख दूंगा।

Vivian Maier
http://www.vivianmaier.com/

तस्वीरों की दुनिया कितनी खूबसूरत होती है। इन दिनों हर आदमी फोटोग्राफर है। उनके पास अपनी तस्वीरों को प्रदर्शित करने के लिए खूब सारे रास्ते हैं— ब्लॉग, इंस्टाग्राम, फेसबुक आदि। हर पल को खींचकर अपलोड करने के इस समय में कोई ऐसा भी होगा जो सामान्य जीवन जीते हुए खूब सारा रचे और अपनी रचनाओं को छिपाकर रखे। जिसका रचा हुआ दुनिया को उसके चले जाने के बाद देखने को मिले।

शिकागो के एक कला संग्रहकर्ता जॉन मालूफ़ अपनी पोर्टेज पार्क पर आने वाली किताब के लिए पुरानी तस्वीरें खोज रहे थे। आस-पास के घरों में घूमकर लोगों से पुरानी तस्वीरें इकट्ठी कर रहे थे। इसी खोज में एक ऑक्सन हाउस से उन्हें नेगेटिव्स से भरा हुआ एक बक्सा मिला। उन्होंने वो बक्सा चार सौ डॉलर में खरीद लिया। उस संग्रह में उन्हें पोर्टेज पार्क से जुड़ी कोई तस्वीर नहीं मिली लेकिन किताब पूरी होने के बाद उन्होंने उन तस्वीरों को देखना शुरू किया। यह बक्सा पचास और साठ के दशक की तस्वीरों से भरा हुआ खजाना था। उन्होंने इस दौरान और जगहों से उनके डेढ़ लाख के करीब नेगेटिव्स खोजे। इसके अलावा ऑडियो टेप, फिल्मों के रॉल और भी कई सारी चीज़े उन्हें मिली। मालूफ़ समझ गए कि यह बहुत बड़ा खजाना है। वो इस रहस्यमयी फोटोग्राफर की खोज में लग गए।

उन्होंने ऑक्सन हाउस में पता किया तो उन्हें केवल इतना पता चला कि यह बक्सा किसी बीमार उम्रदराज औरत का है। जिस दिन उन्होंने ऑक्सन हाउस से बक्सा हासिल किया था उसके लगभग एक साल बाद अप्रैल 2009 में सामान में उन्हें एक लिफाफा मिला। जिसपर पेंसिल से लिखा हुआ था— विवियन मैएर। उन्होंने नाम इंटरनेट पर सर्च किया तो कुछ ही दिन पहले किसी अखबार में छपा 83 साल की एक महिला का शोक संदेश मिला। जिसमें लिखा था पिछले पचास सालों से शिकागो में रह रही व फ्रांस मूल की विवियन मैएर का पिछले सोमवार को निधन हो गया। उसमें लिखा था कि विवियन मैएर शानदार व सहृदय महिला थी और अपने जानने वालों से उसने एक जादुई नाता कायम किया। वह हमेशा सबकी मदद करती थी और उचित सलाह भी देती थी। उसमें लिखा था कि वह एक शानदार फिल्म समीक्षक और फोटोग्राफर थी और हम सब उसे बहुत याद करेंगे।

Vivian Maier
Photo Credit: http://www.vivianmaier.com/

जॉन मालूफ़ ने उस अखबार को फोन करके पता व फोन नम्बर हासिल किये लेकिन वो गलत थे। उन्होंने एक ब्लॉग बनाकर उसपर उनकी सौ तस्वीरें अपलोड की लेकिन महिनों तक वह ब्लॉग किसी ने नहीं देखा। इसके बाद उन्होंने एक सोशल साइट से ब्लॉग को जोड़ा और उसके ग्रुप पर डिस्कशन में पोस्ट किया कि “इस काम का क्या करूं मैं।” लोगों ने उस ब्लॉग को देखना शुरू किया और वह पोस्ट वायरल हो गई। उसके बाद इस फोटोग्राफर का काम लोगों की नज़रों में आया।
उसी समय में जॉन मालूफ़ के अलावा शिकागो के दो अन्य संग्रहकर्ताओं रोन स्लाट्री व रेंडी प्रो को भी उनकी तस्वीरें मिली थीं। उनकी तस्वीरों को पहली बार इंटरनेट पर स्लाट्री ने ही 2008 में प्रकाशित किया था। मालूफ़ ने इसके बाद तस्वीरें ब्लॉग पर डाली थीं जो वायरल हो गई।

उनकी तस्वीरें देखकर आप दंग रह जाएंगे। मुझे सबसे ज्यादा उनके सेल्फ पोर्ट्रेट पसंद आए। उनकी स्ट्रीट फोटोग्राफी में तो वो जिन जगहों पर रही उन जगहों का समय दर्ज है। उनके खींचे लोगों के पोर्ट्रेट ऐसे दीखते हैं जैसे भाव उकेर दिए हों। विवियन मैएर के काम से भी ज्यादा लोगों को उसके रहस्यमयी जीवन ने अपनी ओर खींचा। उनके बारे में पूरी तरह से अभी भी कोई नहीं जानता है। विवियन मैएर ने शिकागो व न्यू यॉर्क में एक आया के रूप में काम किया। और काम से जब भी समय मिला तब आस पास के जीवन की खूब सारी तस्वीरें खींची। शिकागो और न्यूयॉर्क के अलावा विवियन ने दूसरे देशों की यात्रा की और वहाँ की तस्वीरें भी खींची।

बचपन में उसका कई बार न्यूयॉर्क व फ्रांस के बीच आना-जाना हुआ। उसका जन्म 1926 में न्यूयॉर्क में हुआ और 1956 में शिकागो आ गई जहाँ उसने 40 साल तक आया के रूप में काम किया। 1959-60 में उसने अकेले भारत, सीरिया, बीजिंग, शंघाई, मनीला, बैंकॉक, इटली, लॉस एंजेलिस की यात्रा की ओर तस्वीरों में अपनी यात्रा को दर्ज़ किया। उसने कई सारे बक्सों में भरकर अपने नेगेटिव्स, कुछ प्रिंट, अखबारों की कतरनें व लोगों से बातचीत के ऑडियो टेप जहाँ काम करती थी उनके घर में रखे थे। उसने जिन बच्चों के साथ काम किया उनके साथ बाद में की गई बातचीत से लगता है कि विवियन का जीवन बहुत रहस्यमयी था। बाद में जब बुढ़ापे में वह गरीबी में जी रही थी तो एक परिवार जिनके साथ उन्होंने काम किया ने विवियन को एक बेहतर अपार्टमेंट में रखा और फिर बीमार हुई तो अस्पताल ले गए जहाँ बाद में 2009 में उनकी मृत्यू हो गई।

उनके जीवन पर कई सारी किताबें लिखी गईं। कई अवार्ड विनिंग डॉक्यूमेंट्री फिल्में बनी। उनका जीवन सच में इतना ही रहस्यमय था या जिन्होंने उनकी तस्वीरें हासिल की उन्होंने बना दिया यह अभी भी एक अबूझ पहेली सा है। आप सब उनके ब्लॉग पर उनकी तस्वीरें देखिए। खासकर उनके सेल्फ पोर्ट्रेट। एक अजीब सा सुख हासिल होता है उनकी तस्वीरों से गुजरते हुए। विवियन मैएर की तस्वीरों ने मुझे बहुत प्रभावित किया। उनके जैसा काम और इतना चुपचाप जीवन कितना मुश्किल होता होगा ना।

यह आलेख सुमेर सा ने लिखा है. सुमेर बड़के तस्वीरबाज हैं और इनका दिल फोटो और रेत में ज्यादा रमता है।